उत्तराखंड: ग्रामीणों ने किया लोकसभा चुनाव का बहिष्कार, बोले- जब तक सड़कें नहीं, वोट नहीं

उत्तराखंड के चमोली ज़िले के कई गांवों के लोगों ने क्षेत्र में सड़कों की कमी के कारण चिकित्सा सुविधाएं मिलने में देरी को लेकर अपना विरोध दर्ज कराने के लिए आगामी लोकसभा चुनावों का बहिष्कार करने का फैसला किया है. उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों के लिए 19 अप्रैल को मतदान होना है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में श्मशान घाटों की ख़राब स्थिति को लेकर चिंता जताई

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि जनसंख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, लेकिन दाह संस्कार स्थलों पर बुनियादी ढांचे का विकास कछुआ गति से किया जा रहा है. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि आम लोग उचित सुविधाएं पाने के लिए जीवन भर संघर्ष करते हैं और अंतिम सांस के बाद भी उचित दाह संस्कार की सुविधा पाने से वंचित रह जाते हैं.

दिल्ली: आंबेडकर यूनिवर्सिटी के फैकल्टी समूह ने ख़राब व्यवस्थाओं और उत्पीड़न का मुद्दा उठाया

दिल्ली की बीआर आंबेडकर यूनिवर्सिटी के फैकल्टी सदस्यों ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि यूनिवर्सिटी में आवेदन की संख्या लगातार गिरती जा रही है. साथ ही, काम के ख़राब माहौल समेत विभिन्न समस्याओं के चलते साल 2020 से 15 से अधिक फैकल्टी सदस्य इस्तीफ़ा दे चुके हैं.

हवाई अड्डों का विकास किफ़ायत से हो, ताकि आम आदमी यात्रा का ख़र्च उठा सके: संसदीय समिति

एक संसदीय समिति ने कहा है कि एयरपोर्ट टर्मिनल को आरामदायक बनाने और परेशानी मुक्त यात्रा की सुविधा देने की ज़रूरत है, उनके अत्यधिक भव्य होने की नहीं.

सार्वजनिक निवेश के बल पर टिकी विकास की रणनीति को वैश्विक मुद्रास्फीति से ख़तरा है

आम बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए आवंटन को 35 फीसदी बढ़ाते हुए उम्मीद की गई है कि राज्य सरकारें पीएम गति शक्ति परियोजना, जिसका मकसद नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन के तहत चिह्नित नए इंफ्रा प्रोजेक्ट्स हेतु फंड जुटाने के लिए सरकारी परिसंपत्तियों का मौद्रिकरण है, के तहत फंडिंग में योगदान करेंगी. पर सवाल है कि सरकार द्वारा सार्वजनिक निवेश में इज़ाफ़ा किस हद तक निजी निवेशक को प्रोत्साहित कर पाएगा?

क्या 2021 का बजट भारत को विकास की पटरी पर वापस ला सकता है

सरकार उम्मीद कर रही है कि भौतिक ओर सामाजिक- दोनों की तरह के बुनियादी ढांचे पर उसके द्वारा किया जाने वाला बड़ा खर्च नई आय पैदा करेगा, जिससे ख़र्च भी बढ़ेगा. पूंजीगत ख़र्चे में इस बढ़ोतरी का लाभ 4-5 साल में दिखेगा, बशर्ते इसका अमल सही हो.

द वायर के पत्रकार नूर मोहम्मद का निधन 

पिछले कुछ समय में नूर ने अपनी रिपोर्ट्स से देश के ऊर्जा क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर किया था. इन्हीं में से एक रिपोर्ट पर देश के बड़े कॉरपोरेट घराने द्वारा मानहानि का मुकदमा भी किया गया है.

पर्यटन मंत्रालय को संसदीय समिति का सुझाव, विज्ञापन पर कम ख़र्च करें

संसदीय समिति ने मंत्रालय से कहा कि विज्ञापन की अपेक्षा आधारभूत ढांचे पर अधिक ख़र्च करें. ऐसा न हो कि विज्ञापन के ज़रिये ऊंची उम्मीदें जता दी जाएं और अनुभव वैसा न हो.