मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने सर्वदलीय बैठक में अफ़वाहों पर विराम लगाते हुए बताया कि मई में हिंसा शुरू होने के बाद से राज्य में अनुच्छेद 355 प्रभावी है. यह अनुच्छेद केंद्र को राज्य सरकार को बर्ख़ास्त किए बिना राज्य के क़ानून-व्यवस्था को संभालने का अधिकार देता है.
क्या बुद्धिजीवी वर्ग को पालतू बनाए रखने की सरकार की कोशिश या विश्वविद्यालयों में इंटेलिजेंस ब्यूरो को भेजने की उनकी हिमाक़त उसकी बढ़ती बदहवासी का सबूत है, या उसे यह एहसास हो गया है कि भारत एक व्यापक जनांदोलन की दहलीज़ पर बैठा है.
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हरियाणा की अशोका यूनिवर्सिटी के शिक्षक सब्यसाची दास ने एक रिसर्च पेपर में 2019 के लोकसभा चुनाव में ‘हेरफेर’ की संभावना ज़ाहिर की थी, जिस पर विवाद के बाद उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया था. सोमवार को इंटेलिजेंस ब्यूरो के कर्मचारी उनसे बात करने के उद्देश्य से यूनिवर्सिटी पहुंचे थे.
एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि गृह मंत्री अमित शाह ने सभी राज्यों के सहायक ख़ुफ़िया ब्यूरो के साथ बैठक की थी, जिसमें अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि वे प्रत्येक राज्य में अवैध प्रवासियों की पहचान करें और उन्हें गिरफ़्तार करके उनके देश निर्वासित करें.
इसरो में जासूसी का यह मामला भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम पर कुछ गोपनीय दस्तावेज़ों को दूसरे देशों को दिए जाने के आरोपों से जुड़ा था. वैज्ञानिक नंबी नारायणन को नवंबर 1994 में इसरो के अन्य वैज्ञानिकों और कुछ अन्य लोगों के साथ गिरफ़्तार किया गया था. बाद में सीबीआई ने अपनी जांच में कहा था कि उन्हें ग़लत तरीके से फंसाया गया था. बीते जून में इस मामले में केरल पुलिस 18 कर्मचारियों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया है.
एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय और इंटेलिजेंस ब्यूरो ने आधिकारिक दस्तावेज़ों में कहा है कि भारत में कोई विशिष्ट कानून नहीं है, जो केंद्र सरकार को ऑनलाइन सामग्री को विनियमित करने का अधिकार देता है. फ़िर भी सरकार नियमों के साथ छेड़छाड़ करने का विकल्प चुनते हुए नए आईटी क़ानून लेकर आई.
1887 में ब्रिटिश राज द्वारा बनाए गए इंटेलीजेंस ब्यूरो को भारतीय क़ानून के तहत कोई अधिकार प्राप्त नहीं है. इसे आधिकारिक रूप से 'एक नागरिक संगठन बताया जाता है, जिसके पास पुलिस जैसी शक्तियां नहीं हैं.'
हर किसी को हर किसी पर शक है. घर-घर शक है. दफ़्तरों में शक है. अधिकारियों में शक है. दिल्ली में रहते हैं तो बिना कॉलर वाली कमीज़ पहनकर चलें, वर्ना किस अफ़सर का आदमी किस आदमी को अफ़सर समझकर कॉलर पकड़ ले.
सीबीआई विवाद: गुरुवार सुबह छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के घर के बाहर से चार आईबी अधिकारी पकड़े गए थे. आरोप है कि ये लोग वर्मा की जासूसी कर रहे थे.