जहां मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बिना धर्म परिवर्तन के एक मुस्लिम पुरुष और हिंदू महिला के बीच शादी को अमान्य बताया है, वहीं दूसरी ओर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि शादी के लिए धर्म बदलना ज़रूरी नहीं है और अलग धर्म में आस्था रखने वाले जोड़े विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी कर सकते हैं.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जान की सुरक्षा की मांग करने वाले आठ हिंदू-मुस्लिम जोड़ों द्वारा दायर याचिकाओं को इस आधार पर ख़ारिज कर दिया है कि उनकी शादियां उत्तर प्रदेश ग़ैरक़ानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम के अनुपालन में नहीं थीं. याचिकाकर्ता पांच मुस्लिम पुरुषों ने हिंदू महिलाओं और तीन हिंदू पुरुषों ने मुस्लिम महिलाओं से शादी की थी.
इस साल मार्च में विधानसभा में पारित धर्म परिवर्तन संबंधी विधेयक को मंत्रिमंडल के मंज़ूरी देने के बाद नियमों को अधिसूचित किया गया है. इसके तहत ज़िलाधिकारियों को किसी भी धर्मांतरण को मंज़ूरी देने से पहले एक सार्वजनिक नोटिस प्रकाशित करना होगा और इच्छित धर्मांतरण को लेकर आपत्तियां आमंत्रित करनी होंगी.
कर्नाटक के गृह मंत्री अरगा ज्ञानेंद्र ने ‘कर्नाटक धार्मिक स्वतंत्रता अधिकार संरक्षण विधेयक 2022’ को सदन में पेश किया. राज्यपाल की मंज़ूरी के बाद यह विधेयक 17 मई, 2022 से क़ानून का रूप ले लेगा, क्योंकि इसी तारीख़ को अध्यादेश लागू किया गया था.
विधानसभा ने पिछले वर्ष दिसंबर में ‘कर्नाटक प्रोटेक्शन ऑफ राइट टू फ्रीडम ऑफ रिलीजन बिल’ पारित किया था लेकिन विधान परिषद में भाजपा को बहुमत न होने की वजह से यह लंबित था. सरकार इस विधेयक को प्रभाव में लाने के लिए इस वर्ष मई में अध्यादेश लाई थी.
कर्नाटक धार्मिक स्वतंत्रता अधिकार विधेयक, 2021 के अनुसार, इसके तहत दोषी पाए जाने पर उसे तीन साल की क़ैद, जो बढ़ाकर पांच साल तक की जा सकती है और उसे 25,000 रुपये का जुर्माना भी भरना होगा. सामूहिक धर्मांतरण के संबंध में तीन साल की जेल की सज़ा का प्रावधान है, जो दस साल तक बढ़ सकती है और जुर्माना एक लाख रुपये तक हो सकता है.
कर्नाटक विधानसभा ने पिछले वर्ष दिसंबर में धर्म स्वतंत्रता अधिकार सुरक्षा विधेयक पारित किया था, लेकिन यह विधेयक अभी विधान परिषद में लंबित है, जहां सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के पास बहुमत नहीं है. बेंगलुरु के आर्कबिशप ने कहा कि सही लोकतांत्रिक परंपरा के तहत ईसाई समुदाय राज्यपाल से इस अध्यादेश को मंज़ूरी नहीं देने की अपील करता है.
मामला डिंडोरी का है, जहां महिला के परिजनों द्वारा मुस्लिम पुरुष पर अपहरण का आरोप लगाए जाने के बाद प्रशासन ने उनके घर और दुकान ढहा दिए थे. महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया है कि उन्होंने अपनी इच्छा से शादी की है, जिसके बाद कोर्ट ने अपहरण के मामले में कार्रवाई न करने के निर्देश दिए हैं.
हरियाणा ग़ैर क़ानूनी धर्मांतरण रोकथाम विधेयक, 2022 के मुताबिक, डिजिटल माध्यम के उपयोग समेत अगर लालच, बल या धोखाधड़ी के ज़रिये धर्म परिर्वतन किया जाता है तो एक से पांच साल की सज़ा और कम से कम एक लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है.
शुक्रवार को बजट सत्र के दौरान राज्य सरकार ने 'हरियाणा अवैध धर्मांतरण रोकथाम विधेयक, 2022' पेश किया, जिस पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई. कांग्रेस विधायक रघुवीर सिंह कादियान ने सदन में विधेयक की एक प्रति फाड़ दी, जिसके बाद उन्हें सत्र से निलंबित कर दिया गया.
कर्नाटक विधानसभा में पारित इस विधेयक में धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार की सुरक्षा और बलपूर्वक, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी भी कपटपूर्ण तरीके से एक धर्म से दूसरे धर्म में गै़रक़ानूनी अंतरण पर रोक लगाने का प्रावधान है. कांग्रेस ने इस विधेयक को जनविरोधी, संविधान विरोधी, ग़रीब विरोधी बताते हुए पुरज़ोर विरोध किया.
प्रस्तावित क़ानून में कहा गया है कि कि ग़लतबयानी, बल, कपट, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या विवाह के आधार पर धर्म परिवर्तन प्रतिबंधित है. मसौदा क़ानून में ये प्रावधान है कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति समुदायों, नाबालिगों और महिलाओं का जबरन धर्मांतरण कराने पर अधिकतम 10 साल की सज़ा हो सकती है.
याचिकाकर्ता आदि-द्रविड़ समुदाय से संबंध रखता है और उसने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया है. उन्हें पिछड़े वर्ग का प्रमाण पत्र जारी किया गया है. उन्होंने हिंदू धर्म के अरुणथाथियार समुदाय से संबंध रखने वाली महिला से शादी की है. जिसे अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी किया गया है. उन्होंने अंतर जातीय प्रमाण पत्र जारी करने का आवेदन किया था, ताकि सरकारी नौकरी में लाभ ले सके.
एक मुस्लिम महिला और उनके हिंदू साथी द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि वे एक दूसरे से प्रेम करते हैं और अपनी इच्छा से साथ रह रहे हैं. अदालत ने कहा कि दो वयस्कों को अपनी पसंद का जीवनसाथी चुनने का अधिकार है, भले ही वे किसी भी धर्म के हों. कोर्ट ने पुलिस को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि याचिकाकर्ताओं को उनके परिवार या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किसी तरह से परेशान न किया जाए.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने लोकसभा में बताया कि 2017-19 के दौरान ऑनर किलिंग की झारखंड में सबसे ज़्यादा 50 घटनाएं हुईं. उसके बाद महाराष्ट्र में 19 और उत्तर प्रदेश में 14 घटनाएं हुई हैं.