आईसीजे ने म्यांमार के इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस आईसीजे के इस निर्णय के साथ ही पश्चिम अफ्रीका के मुस्लिम बहुल देश गाम्बिया की ओर से म्यांमार के शासकों के ख़िलाफ़ रोहिंग्या समुदाय के लोगों के नरसंहार के आरोपों की सुनवाई आगे जारी रहेगी. साल 2019 में गाम्बिया ने विश्व अदालत में मामला दायर कर आरोप लगाया था कि म्यांमार नरसंहार संधि का उल्लंघन कर रहा है.
आतंकी मसूद अज़हर को भारत ने 1999 में आतंकवादियों द्वारा अपहृत किए गए इंडियन एअरलाइंस के विमान आईसी-814 के यात्रियों को मुक्त कराने के बदले रिहा किया था. रिहाई के बाद उसने जैश-ए-मोहम्मद नामक आतंकवादी संगठन बनाया और भारत में कई आतंकी हमले कराए. पुलवामा हमले की ज़िम्मेदारी भी इसी संगठन ने ली थी.
एक मानवाधिकार समूह ने कहा है कि म्यांमार की सेना छोड़कर भागने वाले दो सैनिकों ने वीडियो पर गवाही दी है कि उन्हें अधिकारियों द्वारा निर्देश दिया गया था, ‘जहां रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं वहां जिन्हें भी देखो और सुनो गोली मार दो.’
पिछले साल जुलाई में अंतरराष्ट्रीय अदालत ने अपने फैसले में पाकिस्तान को राजनयिक पहुंच की अनुमति देने और मौत की सजा की प्रभावी समीक्षा करने का निर्देश दिया था. अदालत ने कहा था कि पाकिस्तान ने राजनयिक पहुंच न देकर अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया है
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा कि वैश्विक संगठन सभी देशों से मौत की सज़ा का इस्तेमाल बंद करने या इस पर प्रतिबंध लगाने की अपील करता है.
निर्भया के दोषियों ने फांसी से कुछ ही घंटों पहले गुरुवार देर रात दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया था. अदालत ने याचिकांए ख़ारिज कर दी थीं.
अदालत ने मौत की सज़ा पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका ख़ारिज की. साल 2012 में 16 दिसंबर की रात दिल्ली में 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा से एक चलती बस में छह लोगों ने सामूहिक बलात्कार और बर्बरतापूर्वक हिंसा करने के बाद उसे और उसके दोस्त को चलती बस से फेंक दिया था. दो हफ्ते बाद सिंगापुर के एक अस्पताल में पीड़िता की मौत हो गई थी.
निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के चार दोषियों में से तीन ने हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत का दरवाजा खटखटाकर अपनी ‘गैरकानूनी फांसी की सजा’ रोकने का अनुरोध करते हुए आरोप लगाया है कि ‘दोषपूर्ण’ जांच के जरिये उन्हें दोषी करार दिया गया और उन्हें प्रयोग का माध्यम बनाया गया है.
अदालत ने कहा कि उनका ये आदेश म्यांमार पर बाध्यकारी है और वे चार महीने में आईसीजे को रिपोर्ट देकर बताएं कि उन्होंने आदेश के अनुपालन के लिए क्या किया.
अंतरराष्ट्रीय अदालत ने जुलाई में भारत के पक्ष में फैसला देते हुए कुलभूषण जाधव की फांसी की सज़ा पर रोक लगा दी थी और कहा था कि पाकिस्तान जाधव को दी गई मौत की सज़ा पर समीक्षा करे. जाधव को पाकिस्तान में जासूसी के आरोप में गिरफ़्तार किया गया है.
जुलाई में अंतरराष्ट्रीय अदालत के निर्देश के बाद पाकिस्तान ने जाधव को राजनयिक पहुंच दी थी, जिसके बाद दो सितंबर को इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग के प्रभारी गौरव अहलूवालिया ने जाधव से मुलाकात की थी.
भारत को पहली बार पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव तक राजनयिक पहुंच मिली. सोमवार को इस्लामाबाद में भारत के उप उच्चायुक्त गौरव अहलूवालिया ने जाधव से मुलाकात की. यह मुलाकात अंतरराष्ट्रीय अदालत द्वारा दी गई व्यवस्था के तहत हुई.
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने बीते रविवार को ट्वीट कर कहा था कि कुलभूषण जाधव को राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन, अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के फैसले और पाकिस्तान के कानूनों के अनुरूप राजनयिक पहुंच दो सितंबर को उपलब्ध कराई जाएगी.
आईसीजे और अंतरराष्ट्रीय क़ानून से फिलहाल बस थोड़ा-सा समय मिला है, जिसका उपयोग भारत और पाकिस्तान दोनों के ही राजनीतिक नेतृत्व को उस संकट से बाहर निकलने में करना चाहिए, जहां एक इंसान की ज़िंदगी पर तलवार न लटक रही हो.
अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत ने भारत के पक्ष में फैसला सुनाते हुए पाकिस्तान से जाधव को राजनयिक पहुंच मुहैया कराने को कहा था. कुलभूषण जाधव जासूसी के आरोप में पाकिस्तान की जेल में बंद हैं.