क्या आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा का प्रसार उनकी ही संस्कृति के लिए ख़तरा है

विश्व आदिवासी दिवस: मूल निवासियों की पहचान उनकी अपनी विशेष भाषा और संस्कृति से होती है, लेकिन बीते कुछ समय से ये चलन-सा बनता नज़र आया है कि आदिवासी क्षेत्र के लोग मुख्यधारा की शिक्षा मिलते ही अपनी भाषा, संस्कृति और परंपराओं को हेय दृष्टि से देखने लगते हैं.

विश्व आदिवासी दिवस: ये आदिवासियों के लिए ख़ुद से सवाल पूछने का समय है

किसी भी संगठित धर्म में गया आदिवासी अपनी मूल पहचान बचाए रखने के नाम पर प्रकृति से जुड़े उत्सवों में हिस्सा लेकर इस भ्रम में रहता है कि वह ज़मीन से जुड़ा हुआ है. लेकिन क्या वह कभी ये महसूस करता है कि अपनी संस्कृति, भाषा आदि को लेकर उसका नज़रिया कैसे कथित मुख्यधारा के नज़रिये जैसा हो जाता है?