बीते 8 सितंबर को मणिपुर के टेंगनौपाल ज़िले के पलेल में हुई गोलीबारी की घटना में तीन लोगों की मौत हो गई और 50 से अधिक घायल हो गए थे. इस दौरान पलेल के पास मोलनोई गांव में सुरक्षा बलों और हथियारबंद लोगों के बीच गोलीबारी हो गई थी. राज्य मंत्रिमंडल ने केंद्र सरकार को घटना से अवगत कराने की बात कही है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय और राष्ट्रपति भवन ने मणिपुर में क़ानून और व्यवस्था की स्थिति पर नियमित रूप से प्राप्त रिपोर्ट पर आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(ए) और धारा 24 के तहत जानकारी देने से इनकार किया है.
हिंसाग्रस्त मणिपुर का दौरा करने वाली एडिटर्स गिल्ड की फैक्ट-फाइंडिंग टीम ने रिपोर्ट में 'इंटरनेट बैन' को ग़लती बताते हुए कहा था कि हिंसा के दौरान मणिपुर मीडिया ‘मेईतेई मीडिया’ बन गया था. अब सीएम एन. बीरेन सिंह का कहना है कि सरकार ने गिल्ड सदस्यों पर एफआईआर दर्ज की है, जो 'राज्य में और संघर्ष पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.'
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की एक फैक्ट-फाइंडिंग टीम ने पिछले महीने हिंसाग्रस्त मणिपुर का दौरा किया था. टीम द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मणिपुर सरकार द्वारा इंटरनेट बैन का पत्रकारिता पर हानिकारक प्रभाव पड़ा, क्योंकि बिना किसी संचार के एकत्र की गईं स्थानीय ख़बरें स्थिति का संतुलित दृष्टिकोण देने के लिए पर्याप्त नहीं थीं.
मणिपुर में इंटरनेट पर प्रतिबंध को आगे बढ़ाए जाने के साथ ही इंफाल पूर्वी और इंफाल पश्चिमी ज़िले से हिंसा और आगज़नी की ख़बरें आई हैं. इंफाल पूर्व में जहां एक महिला की गोली मारकर हत्या कर दी गई है, वहीं इंफाल पश्चिम में उपद्रवियों ने तीन ख़ाली खड़े ट्रकों को आग के हवाले कर दिया.
मणिपुर हाईकोर्ट के 27 मार्च के विवादास्पद आदेश पर मेईतेई ट्राइब्स यूनियन ने समीक्षा याचिका दायर करते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक किसी भी समुदाय को एसटी में शामिल करना या बाहर करना संसद और राष्ट्रपति का विशेषाधिकार है, हाईकोर्ट का आदेश इसका पालन नहीं करता है. इस बीच, उच्च न्यायालय ने राज्य में सीमित इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराने के आदेश दिए हैं.
मणिपुर में रहने वाले एक पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल ने ट्वीट किया था कि राज्य 'स्टेटलेस' स्थिति में हैं, जहां कोई भी कभी भी किसी की ज़िंदगी और संपत्ति को नुकसान पहुंचा सकता है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व सेना प्रमुख (रिटायर्ड) जनरल वेद प्रकाश मलिक ने कहा कि वहां क़ानून-व्यवस्था पर तत्काल ध्यान दिया जाना चाहिए.
उदयपुर में हुई नृशंसता के बावजूद इस प्रचार को क़बूल नहीं किया जा सकता कि हिंदू ख़तरे में हैं. इस हत्या के बहाने जो लोग मुसलमानों के ख़िलाफ़ घृणा प्रचार कर रहे हैं, वे हत्या और हिंसा के पैरोकार हैं. यह समझना होगा कि एक सुनियोजित षड्यंत्र चलाया जा रहा है कि किसी घटना पर हिंदू, मुसलमान एक साथ एक स्वर में न बोल पाएं.
उदयपुर ज़िले के धानमंडी थानाक्षेत्र में सिलाई करने वाले एक शख़्स की दिनदहाड़े हत्या के बाद उपजे तनाव के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शांति की अपील करते हुए अपराधियों पर कठोर कार्रवाई का आश्वासन दिया है.
कजाकिस्तान में दो जनवरी को एक प्रकार के वाहन ईंधन की क़ीमतों के लगभग दोगुने होने पर प्रदर्शन शुरू हुए थे, जो तेज़ी से पूरे देश में फैल गए. इन प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा में 2,200 से ज़्यादा लोग घायल हुए हैं. देश की ख़ुफ़िया और आतंकवाद-निरोधक एजेंसी ने सोमवार को कहा कि अब स्थिति ‘स्थिर और नियंत्रण में है.’
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संचार और सूचना प्रौद्योगिकी पर बनी संसदीय समिति को बताया कि केंद्र व राज्य सरकारें 'सार्वजनिक सुरक्षा' और 'सार्वजनिक आपातकाल' की दलील देकर इंटरनेट प्रतिबंधित करते हैं, लेकिन भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम में ये शब्दावली परिभाषित नहीं है. समिति की रिपोर्ट के अनुसार, परिभाषा के अभाव के चलते प्रशासन आए दिन रोज़मर्रा के पुलिस एवं प्रशासनिक कामों के लिए भी इसका सहारा ले रहा है.
संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बैचलेट ने कहा था कि जम्मू कश्मीर में भारतीय अधिकारियों द्वारा सार्वजनिक सभाओं और संचार सेवाओं पर पाबंदी लगाए जाने का सिलसिला जारी है, जबकि सैकड़ों लोग अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का प्रयोग करने के लिए हिरासत में हैं. साथ ही पत्रकारों को लगातार बढ़ते दबाव का सामना करना पड़ता है.
संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बेशलेट ने कहा कि जम्मू कश्मीर में भारतीय अधिकारियों द्वारा सार्वजनिक सभाओं और संचार सेवाओं पर बार-बार पाबंदी लगाए जाने का सिलसिला जारी है, जबकि सैकड़ों लोग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अपने अधिकार का प्रयोग करने के लिए हिरासत में हैं. साथ ही पत्रकारों को लगातार बढ़ते दबाव का सामना करना पड़ता है.
वीडियो: जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों की बात की, लेकिन देश के अंदर की स्थिति कुछ और ही है. इस विषय पर द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.
जी-7 के शिखर सम्मेलन में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिये शामिल हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि लोकतंत्र और स्वतंत्रता भारत के सभ्यागत लोकाचार का हिस्सा हैं. यह बयान ऐसे समय आया है जब नए आईटी नियमों को लेकर भारत सरकार और ट्विटर जैसी बड़ी टेक कंपनी आमने-सामने हैं. ट्विटर ने पिछले महीने भारत स्थित अपने कार्यालयों पर पुलिस की छापेमारी को अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए संभावित ख़तरा माना है.