इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने एक बयान में कहा कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने नागरिक समाज, पत्रकारों या अन्य प्रमुख हितधारकों के प्रतिनिधित्व के बिना केवल मीडिया उद्योग के चुनिंदा प्रतिनिधियों से मुलाकात करके बदलाव किए.
सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) संशोधन नियम-2023 में एक फैक्ट-चैकिंग इकाई का प्रावधान है जो केंद्र सरकार से संबंधित ऐसी सूचनाओं को चिह्नित करेगी, जिन्हें वह ग़लत, फ़र्ज़ी या भ्रामक मानती है. केंद्र ने प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) की फैक्ट-चेक शाखा को फैक्ट-चेकिंग इकाई (एफसीयू) के रूप में नामित किया था.
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर विभिन्न मानवाधिकार संगठनों, मीडिया और तकनीकी अधिकार समूहों ने एक बयान जारी कर सरकार द्वारा लाए गए नए सूचना प्रौद्योगिकी नियमों के मीडिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पड़ने वाले हानिकारक दुष्प्रभावों को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए उन्हें वापस लेने की मांग की है.
105 देशों के 300 से अधिक संगठनों ने इंटरनेट शटडाउन को समाप्त करने की वकालत करने वाले #KeepItOn गठबंधन के बैनर तले केंद्रीय संचार एवं इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव को लिखे खुले पत्र में बताया है कि भारत ने 2022 में 84 बार ‘इंटरनेट शटडाउन’ किया. विश्व में लगातार पांचवें वर्ष भारत में यह संख्या सबसे अधिक रही.
हाल ही में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण प्रमुख ने कोरोना संक्रमण को रोकने की दलील देते हुए कहा कि टीकाकरण के लिए चेहरा पहचान तकनीक का प्रयोग किया जा सकता है. हालांकि अधिकार संगठनों ने इसे लोगों की निजता के साथ खिलवाड़ बताया है.