साल 2007 में आंध्र प्रदेश के नक्सल विरोधी विशेष पुलिस दल ने वाकापल्ली स्थित आदिवासी टोले में तलाशी अभियान चलाया था. आरोप है कि इस दौरान ‘कोंधु’ जनजातीय समूह की 11 महिलाओं के साथ 13 पुलिसकर्मियों ने बंदूक की नोंक पर बलात्कार किया था. अदालत ने घटिया जांच के लिए जांच अधिकारियों का फटकार भी लगाई है.
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने राजधानी दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि जनजातियों को गै़र-अधिसूचित किए जाने के लगभग 73 वर्षों बाद भी आदिवासी उत्पीड़न और क्रूरता के शिकार होते हैं. भले ही एक भेदभावपूर्ण क़ानून को न्यायालय असंवैधानिक ठहरा दे या संसद निरस्त कर दे, लेकिन भेदभावपूर्ण व्यवहार फ़ौरन नहीं बदलता है.