मानवाधिकार दिवस: दो साल से सलाखों के पीछे क़ैद पत्रकार रूपेश, उच्च शिक्षा बनी सहारा

जुलाई 2022 से जेल में बंद रूपेश कुमार सिंह की जीवनसाथी उनके कारावास के अनुभव दर्ज कर रही हैं, साथ ही बता रही हैं कि बिहार की जेलों में क़ैदियों के साथ कितना अमानवीय बर्ताव होता है. लेकिन रूपेश की जिजीविषा बरक़रार है.

रूपेश समेत सभी पत्रकारों की रिहाई पत्रकारिता ही नहीं, लोकतंत्र बचाने का अनिवार्य हिस्सा है

रूपेश कुमार सिंह की दोबारा गिरफ़्तारी को सालभर हो गया है और इस बीच उन्हें चार नए मामलों में आरोपी बनाया गया है. बीते दिनों प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिका दौरे पर ‘वाशिंगटन पोस्ट’ ने पूरे एक पन्ने पर भारतीय जेलों में बंद पत्रकारों की रिहाई की मांग उठाई थी. भारत में भी ऐसी मांग उठाना ज़रूरी है.

झारखंड: जेल में बंद पत्रकार रूपेश कुमार के ख़िलाफ़ दो नए मामले दर्ज किए गए

झारखंड के स्वतंत्र पत्रकार रूपेश कुमार सिंह माओवादियों से कथित संबंधों के आरोप में जेल में हैं. उनके ख़िलाफ़ दो और नए मामले दर्ज होने पर उनके वकील का कहना है कि यह ऑल्ट न्यूज के मोहम्मद ज़ुबैर के साथ हुआ वही पैटर्न है जहां एक के बाद एक मामले दर्ज करके बिना ट्रायल ही आरोपी को जेल में रखा जा सके.

जनता की आवाज़ उठाने वालों को धमकाया जा रहा है: इप्सा शताक्षी

वीडियो: झारखंड के पत्रकार रूपेश कुमार सिंह को बीते 17 जुलाई को माओवादियों से कथित संबंधों के आरोप में गिरफ़्तार किया है. उनकी पत्नी इप्सा शताक्षी ने बताया कि उन्हें जेल में संक्रामक रोगियों के वॉर्ड में रखा गया है और वहां की स्थिति अच्छी नहीं है. उनसे सुमेधा पाल की बातचीत.

माओवादियों से संबंध के आरोप में झारखंड पुलिस ने स्वतंत्र पत्रकार को गिरफ़्तार किया

झारखंड के रामगढ़ में रहने वाले स्वतंत्र पत्रकार रूपेश कुमार सिंह को साल 2021 में सरायकेला खरसावां ज़िले में दर्ज एक मामले में गिरफ़्तार किया गया है, ​जिसमें भाकपा (माओवादी) का नेता प्रशांत बोस उर्फ किशनदा आरोपी है. जून 2019 में भी बिहार की गया पुलिस ने उन्हें नक्सली बताकर गिरफ़्तार किया था. हालांकि पुलिस द्वारा चार्जशीट दाख़िल न कर पाने के कारण उसी साल दिसंबर में उन्हें ज़मानत मिल गई थी.

पेगासस जासूसी को लोकतंत्र पर बदनुमा दाग़ के तौर पर देखता हूं: पत्रकार रूपेश कुमार सिंह

साक्षात्कार: झारखंड के रामगढ़ में रहने वाले स्वतंत्र पत्रकार रूपेश कुमार सिंह और उनसे जुड़े तीन फोन नंबर पेगासस स्पायवेयर द्वारा जासूसी की संभावित सूची में शामिल हैं. इस बारे में रूपेश कुमार सिंह से बातचीत.

बिहार: क्या पुलिस ने फ़र्ज़ी मामला बनाकर पत्रकार रूपेश को गिरफ़्तार किया?

बीते ​छह जून को बिहार की गया पुलिस ने तीन नक्सलियों को जिलेटिन स्टिक और इलेक्ट्रॉनिक डेटोनेटर के साथ गिरफ़्तार करने का दावा किया था.