शीर्ष अदालत एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने आरोप लगाया है कि उनकी 42 और 39 वर्ष की दो बेटियों को ईशा फाउंडेशन में रहने के लिए 'ब्रेनवॉश' किया गया है.
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के पास नंदी पहाड़ियों में सद्गुरु के ईशा फाउंडेशन द्वारा 15 जनवरी को आदियोगी शिव की प्रतिमा का अनावरण किया जाना था. याचिका में आरोप लगाया गया है कि पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील इलाके में एक वाणिज्यिक उद्यम स्थापित किया जा रहा है और सरकार ने इस उद्देश्य के लिए अवैध रूप से भूमि आवंटित की है.