क्या साहित्य सियासत से पंजे लड़ा सकता है?

नासिरा शर्मा ने कई फ़िलिस्तीनी रचनाकारों का अनुवाद किया है. उनकी हालिया किताब, फ़िलिस्तीन: एक नया कर्बला, में उनके अनुवादों के साथ इस विषय पर राजनीतिक निबंध भी शामिल हैं. वे इस लेख में अनुवाद प्रक्रिया से जुड़े अपने अनुभव साझा कर रही हैं. उनके अनुसार ये रचनाएं समय की छाती पर लिखी इबारतें हैं जो हथियारों के सामने तनकर खड़ी हैं.

संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता से जुड़े प्रस्ताव पर भारत ने फिलिस्तीन के समर्थन में किया वोट

193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा के नौ देशों ने प्रस्ताव के विरोध में वोट किया, जिसमें अमेरिका और इज़रायल भी शामिल थे.

इज़रायल का जन्म: सहमति का मिथ और असहमति का इतिहास

फ़िलिस्तीन का उपनिवेशीकरण विभाजित पश्चिमी समाज के लिए एकता क़ायम करने का ज़रिया बन जाता है. यहूदी समस्या पश्चिम को दिखाई देती है, वहीं फ़िलिस्तीन को वह नज़रअंदाज़ करता है. एडवर्ड सईद ने इसे ‘दोहरा विज़न’ कहा है.

भारत इज़रायल से आखिर क्या सीख रहा है?

अटल बिहारी वाजपेयी ने कभी कहा था कि ‘अरबों की जिस ज़मीन पर इज़रायल क़ब्ज़ा करके बैठा है वह उसे खाली करनी होगी.’ उस विवेक से हम ऐसी संस्कृति तक आ पहुंचे हैं, जहां अमानवीय इज़रायली हिंसा के बावजूद भारतीय जनमानस का एक बड़ा हिस्सा उसके प्रति चुप्पी या समर्थन का भाव रखे हुए है.

अमेरिका: फिलिस्तीन में नरसंहार के खिलाफ आंदोलन कर रहे छात्रों और शिक्षकों का दमन जारी

अमेरिका के न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय में फिलिस्तीन के समर्थन में हो रहे विद्यार्थियों के प्रदर्शन में कुछ फैकल्टी सदस्य भी शामिल थे, जो प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा के लिए वहां मौजूद थे. न्यूयॉर्क पुलिस द्वारा उन्हें हिरासत में लिया गया था. उनमें से एक प्रोफेसर डेविड लडन ने अपना अनुभव साझा किया है.

मुक्तिबोध का हिंदी के केंद्रों से दूर रहकर भी साहित्य, विचार के केंद्र में रहना विस्मयकारी है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: मुक्तिबोध साहित्य और जीवन संबंधी अपने विचार और स्थापनाएं रोज़मर्रा की ज़िंदगी में रसे-बसे रहकर ही व्यक्त और विकसित करते थे. ऐसे रोज़मर्रा के जीवन के कितने ही चित्र, प्रसंग और छवियां उनकी कविताओं और विचारों में गहरे अंकित हैं. 

इज़रायल के लिए हथियार ले जाने वाले जहाजों के लिए काम नहीं करेंगे: जल परिवहन श्रमिक संघ

प्रमुख भारतीय बंदरगाहों पर लगभग 3,500 श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करने वाले वॉटर ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से कहा गया है कि उसने इज़रायल या किसी अन्य देश से हथियारबंद कार्गो को लोड या अनलोड करने से इनकार करने का फैसला किया है, जो फिलिस्तीन के साथ युद्ध का हिस्सा हो सकते हैं.

क्या अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले को मानेगा इज़रायल?

वीडियो: गाजा पर इज़रायल के हमले के बीच दक्षिण अफ्रीका ने इस पर नरसंहार का आरोप लगाते हुए इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का रुख़ किया था, जिसने अपने निर्णय में इज़रायल को जेनोसाइड कन्वेंशन का पालन करने को कहा है. हालांकि इसने युद्धविराम का निर्देश नहीं दिया. फैसले की बारीकियों पर द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन से बातचीत.

आईसीजे ने इज़रायल से नरसंहार कन्वेंशन का पालन करने को कहा, सैन्य अभियान रोकने का निर्देश नहीं

दक्षिण अफ्रीका ने इजरायल पर नरसंहार का आरोप लगाते हुए अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में मुक़दमा दायर करते हुए इससे युद्धविराम का निर्देश देने की मांग की थी.

इस भयावह समय में फ़िलिस्तीनी कविता सारी मनुष्यता का शायद सबसे मार्मिक और प्रश्नवाचक रूपक है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: फ़िलिस्तीनी कविता में गवाही, हिस्सेदारी और ज़िम्मेदारी एक साथ है. यह कविता मातृभूमि को भूगोल भर में नहीं, कविता में बचाने की कोशिश और संघर्ष है. दुखद अर्थ में यह कविता मानो फ़िलिस्तीनियों की मातृभूमि ही होती जा रही है- वह ज़मीन जिस पर कब्ज़ा नहीं किया जा सकेगा.

इज़रायली हमले को अमेरिकी समर्थन के विरोध में संदीप पांडेय ने मैग्सेसे पुरस्कार लौटाया

सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडेय को वर्ष 2002 में प्रतिष्ठित मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उन्होंने एक बयान जारी कर कहा है कि फ़िलिस्तीनी नागरिकों के ख़िलाफ़ मौजूदा हमले में इज़रायल का खुलेआम समर्थन करने में अमेरिका की भूमिका को देखते हुए उनके लिए पुरस्कार अपने पास रखना असहनीय हो गया है.

फेसबुक और इंस्टाग्राम पर फिलिस्तीन समर्थक आवाज़ों को दबा रहा है मेटा: ह्यूमन राइट्स वॉच

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ ने अपनी एक रिपोर्ट में फेसबुक और इंस्टाग्राम पर उन आवाजों को अनुचित तरीके से दबाने और हटाने के एक पैटर्न का दस्तावेज़ीकरण किया है, जिसमें फिलिस्तीन के समर्थन में शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति और मानवाधिकारों के बारे में बहस शामिल है.

हमारे देश ने अपनी नैतिक दिशा खो दी है

सारी दुनिया में लाखों यहूदी, मुसलमान, ईसाई, हिंदू, कम्युनिस्ट, एग्नॉस्टिक लोग सड़कों पर उतरकर गाज़ा पर हमला फ़ौरन बंद करने की मांग कर रहे हैं. लेकिन, वही मुल्क जो कभी फिलिस्तीन का सच्चा दोस्त था, जिन पर कभी लाखों लोगों के जुलूस निकले हुए होते, वही सड़कें आज ख़ामोश हैं.

18,000 फ़िलिस्तीनियों की हत्या के बाद जागा भारत, संयुक्त राष्ट्र में दिया वोट

वीडियो: बीते दिनों भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाए गए एक नए प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया है, जिसमें गाज़ा में तत्काल मानवीय युद्धविराम का आह्वान किया गया था. अक्टूबर माह में भारत ने ऐसे ही एक प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया था. इस बीच इज़रायल के हमले में 18,600 से अधिक फिलिस्तीनी नागरिकों की मौत हो चुकी है.

हिंसा अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पूरी हेकड़ी दिखा रही है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: बर्बर और अमानवीय इजरायल गाज़ा में जो कर रहा है और जिस तरह से अनेक देश उसे चुप रहकर ऐसा करने दे रहे हैं, वे मनुष्यता और सभ्यता की विफलता के ताज़ा उदाहरण हैं.

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