रविवार को एशिया कप में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए क्रिकेट मैच में भारतीय बॉलर अर्शदीप सिंह से एक कैच छूट गया था, जिसके बाद सोशल मीडिया पर उनकी काफ़ी आलोचना हुई. इसके बाद उनके विकीपीडिया पेज पर दी गई जानकारी से छेड़छाड़ कर उन्हें ख़ालिस्तानी आंदोलन से जोड़कर दिखाया गया था.
ट्विटर की ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई से दिसंबर 2021 के बीच वैश्विक स्तर पर भारत ने ट्विटर पर सत्यापित पत्रकारों और मीडिया संस्थानों द्वारा पोस्ट सामग्री हटाने की सर्वाधिक क़ानूनी मांग की. इसी अवधि में भारत सभी यूज़र्स के मामले में कंटेंट प्रतिबंधित करने का आदेश देने वाले शीर्ष पांच देशों में शामिल था.
भारत का लोकतंत्र दिनदहाड़े दम तोड़ रहा है. प्रेस को घेरा जा रहा है, लेकिन उसे अडिग होकर खड़े होने के तरीके तलाशने होंगे.
सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री एल. मुरुगन ने राज्यसभा में बताया कि फ़र्ज़ी खबरें फैलाने वालों और राष्ट्र विरोधी सामग्री के प्रकाशन पर कार्रवाई करते हुए यूट्यूब, ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम सहित 60 से अधिक एकांउट पर रोक लगा दी गई है. टेक फॉग ऐप के बारे में पूछे जाने पर मुरुगन ने कहा कि सरकार ने तथ्यों की जांच करने के लिए एक इकाई स्थापित की है.
बीते दिसंबर महीने में 20 यूट्यूब चैनलों को प्रतिबंधित करने के बाद सरकार की ओर से ये कदम उठाया गया है. सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ये चैनल अलगाववाद को प्रोत्साहित करने, भारत को धर्म के आधार पर विभाजित करने और भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों के बीच दुश्मनी पैदा करने से संबंधित सामग्री का प्रचार कर रहे थे.
'भारत विरोधी दुष्प्रचार' और फ़र्ज़ी ख़बरें फैलाने के आरोप में बीस यूट्यूब चैनल और दो वेबसाइट ब्लॉक किए जाने के कुछ दिनों बाद सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि सरकार देश के ख़िलाफ़ ‘साजिश रचने’ वालों के विरुद्ध इस तरह की कार्रवाई जारी रखेगी.
सोशल मीडिया कंपनी वॉट्सऐप ने अपनी ताज़ा अनुपालन रिपोर्ट में कहा कि इस दौरान इस दौरान उसे 602 शिकायतें मिली हैं. नए आईटी नियमों के तहत 50 लाख से अधिक यूज़र्स वाले बड़े डिजिटल मंचों को हर महीने अपनी अनुपालन रिपोर्ट प्रकाशित करनी होती है, जिसमें प्राप्त शिकायतों और उन पर की गई कार्रवाई का विवरण होता है.
तकनीकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी गूगल ने अपनी मासिक पारदर्शिता रिपोर्ट में कहा कि गूगल ने उपयोगकर्ताओं की शिकायत के अलावा स्वचालित पहचान के आधार पर भी नवंबर 2021 में 3,75,468 सामग्रियों को हटाया. वहीं, फेसबुक ने भारत में नवंबर के दौरान 1.62 करोड़ से अधिक सामग्रियों पर कार्रवाई की जानकारी दी.
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने कहा कि ये चैनल और वेबसाइट 'पाकिस्तान से संचालित एक समन्वित दुष्प्रचार नेटवर्क' से संबंधित हैं तथा 'भारत से संबंधित विभिन्न संवेदनशील विषयों के बारे में फ़र्ज़ी ख़बरें फैला रहे हैं.'
मीडिया कंपनियों के एक 13-सदस्यीय समूह डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन की याचिका पर कोर्ट का ये आदेश आया है. इससे पहले सितंबर महीने में हाईकोर्ट ने आईटी नियम, 2021 के एक प्रमुख प्रावधान के पर रोक लगा दी थी, जिसके तहत सोशल मीडिया और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म को विनियमित करने के लिए केंद्र द्वारा एक निगरानी तंत्र स्थापित करने का प्रावधान किया गया है.
केंद्र ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि ट्विटर ने नए आईटी नियमों का अनुपालन करते हुए मुख्य अनुपालन अधिकारी, निवासी शिकायत अधिकारी और नोडल संपर्क व्यक्ति की नियुक्ति कर दी है. हाईकोर्ट अमेरिका स्थित माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर द्वारा आईटी नियमों का अनुपालन न किए जाने का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है.
फेसबुक-ट्विटर जैसी सोशल मीडिया कंपनियों की अनुपालन रिपोर्ट से पता चलता है कि फ़िलहाल काफ़ी कम यूज़र नए आईटी नियमों के तहत शिकायतें दायर करा रहे हैं. ज़्यादातर कंपनियों को हर महीने एक हज़ार से कम शिकायतें मिल रही हैं.
डिजिटल न्यूज़ पब्लिशर्स एसोसिएशन, पत्रकार मुकुंद पद्मनाभन और संगीतकार टीएम कृष्णा की नए आईटी नियमों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर अदालत ने नियम 9 के उपबंध (1) एवं (3) पर रोक लगाई है. ये उप-खंड आचार संहिता के पालन को निर्धारित करते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वेब पोर्टल किसी भी चीज़ से नियंत्रण नहीं होते हैं. ख़बरों को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है और यह एक समस्या है. अंतत: इससे देश का नाम बदनाम होता है. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दिल्ली में तबलीग़ी जमात के कार्यक्रम और कोविड-19 के प्रसार पर इसके प्रभाव को लेकर फ़र्ज़ी और सांप्रदायिक खबरें प्रसारित करने के ख़िलाफ़ दाख़िल एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की.
सूचना व प्रसारण मंत्रालय तथा इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से दायर हलफ़नामे में कहा गया कि मीडिया में ग़लत जानकारी के प्रचार के कारण क़ानून व व्यवस्था बिगड़ने के कई मामले सामने आ चुके हैं. नए नियम डिजिटल मीडिया में फ़र्ज़ी ख़बरों से नागरिकों की रक्षा का काम करेंगे.