केरल में सीधा मुकाबला कांग्रेस की अगुवाई वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) और राज्य में सत्तारूढ़ लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) के बीच होता.
लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में केरल में होने जा रहा मुक़ाबला न केवल भाजपा, बल्कि विपक्षी 'इंडिया' गठबंधन के लिए भी महत्वपूर्ण है. भाजपा ने आज तक राज्य में कोई संसदीय सीट नहीं जीती है, वहीं केंद्र में भाजपा की विभाजनकारी राजनीति को 'इंडिया' गठबंधन के बैनर तले चुनौती देने की बात करने वाले विपक्षी दल केरल में एलडीएफ और यूडीएफ में बंटकर एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं.
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग और माकपा की युवा शाखा डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया ने सीएए नियमों के अमल पर रोक की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि यह एक ऐसा क़ानून है जो धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा पर प्रहार करता है, जो संविधान की मूल संरचना है.
अयोध्या में राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा पर पिनराई विजयन ने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि सभी को स्वतंत्र रूप से धर्म को मानने, उसका अभ्यास और प्रचार करने का समान अधिकार है. वहीं ममता बनर्जी ने भाजपा को 'महिला विरोधी' क़रार दिया. सिद्धारमैया ने कहा कि 'हम महात्मा गांधी के राम की पूजा करते हैं, भाजपा के राम की नहीं.'
केंद्र सरकार द्वारा गैरक़ानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद सामने आई प्रतिक्रियाओं में कई दलों के नेताओं ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समेत कई हिंदुत्ववादी संगठनों पर भी बैन लगाने की मांग की है.
बीते जून में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के छात्र संगठन एमएसएफ की महिला इकाई हरिथा की नेताओं ने उनके तीन सहकर्मियों पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया था. पार्टी के शीर्ष नेताओं द्वारा कोई कार्रवाई न किए जाने पर हरिथा ने राज्य महिला आयोग का रुख़ किया, जिसके बाद पार्टी ने शिकायत वापस न लेने पर ‘अनुशासनहीनता’ का आरोप लगाते हुए हरिथा की राज्य समिति को भंग कर दिया था.
बीते जून में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के छात्र संगठन एमएसएफ की महिला इकाई हरिथा की तीन नेताओं ने उनके तीन पुरुष सहकर्मियों पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया था. पार्टी के शीर्ष नेताओं द्वारा कोई कार्रवाई न किए जाने पर हरिथा ने राज्य महिला आयोग का रुख़ किया, जिसके बाद पार्टी ने शिकायत वापस न लेने पर 'अनुशासनहीनता' का आरोप लगाते हुए हरिथा की राज्य समिति को भंग कर दिया.
बीते 28 मई को केंद्र की मोदी सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर गुजरात, छत्तीसगढ़, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब के 13 ज़िलों में रह रहे अफ़गानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिक के तौर पर पंजीकृत करने के लिए निर्देश दिया था. इस अधिसूचना को इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है.
बीते 28 मई को केंद्र सरकार ने 13 ज़िलों में रह रहे अफ़गानिस्तान, बांग्लादेश तथा पाकिस्तान के ग़ैर-मुस्लिमों से भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन मंगाने संबंधी अधिसूचना जारी की है. इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की ओर से मांग की गई है कि जब तक सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका अदालत में लंबित है, तब तक केंद्र को नागरिकता संबंधी नए आदेश पर रोक लगाने का निर्देश दिया जाए.