वर्ष 2020 की शुरुआत में पूर्वोत्तर दिल्ली के जाफ़राबाद में हुए दंगों के दौरान हुई झड़पों में कथित संलिप्तता के लिए दिल्ली पुलिस ने तीन साल पहले 9 अप्रैल को गुलफ़िशा फ़ातिमा को गिरफ़्तार किया था. 13 मई 2020 को जब मामले में उन्हें ज़मानत मिल गई तो उन पर एक नई एफआईआर दर्ज कर ली गई.
दंगा प्रभावित लोगों के लिए आम जनता की तरफ से किए जा रहे सभी प्रयास सराहनीय हैं, लेकिन यह कोई स्थायी समाधान नहीं है. दंगे में अपना सब कुछ खो चुके निर्दोष लोगों को सरकार की तरफ से सम्मानजनक मदद मिलनी चाहिए थी न कि उन्हें समाज के दान पर निर्भर रहना पड़े.
दिल्ली के उत्तर पूर्वी इलाकों में हुए दंगों के बाद कई परिवारों के सदस्य गुमशुदा हैं. परिजनों का आरोप है कि पुलिस इसे लेकर एफआईआर दर्ज नहीं कर रही है और सरकार से भी उन्हें ज़रूरी मदद नहीं मिल रही है.
उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के दौरान मुस्तफ़ाबाद इलाके में पीड़ितों की मदद के लिए पहुंचे सामाजिक कार्यकर्ता भी डर से अछूते नहीं थे. एक ऐसे ही कार्यकर्ता की आपबीती.
वीडियो: 23 फरवरी से दिल्ली में भड़की सांप्रदायिक हिंसा की आग में अब तक 48 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और 300 से अधिक लोग घायल हैं. मीडिया बोल की इस कड़ी में उर्मिलेश इस बारे में द वायर के डिप्टी एडिटर अजय आशीर्वाद, सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी और जनचौक वेबसाइट के संवाददाता सुशील मानव से चर्चा कर रहे हैं.
दिल्ली की हिंसा का कोई ‘हिंदू’ या ‘मुस्लिम’ पक्ष नहीं है, बल्कि यह लोगों को सांप्रदायिक आधार पर बांटने की एक घृणित सियासी चाल है. 2002 के दंगों ने भाजपा को गुजरात में अजेय बना दिया. गुजरात मॉडल के इस बेहद अहम पहलू को अब दिल्ली में उतारने की कोशिश ज़ोर-शोर से शुरू हो गई है.
वीडियो: उत्तर पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में नागरिकता संशोधन कानून के विरोधी और समर्थक गुटों के बीच सोमवार को हुई हिंसा में अब तक दिल्ली पुलिस के एक हेड कॉन्सटेबल सहित सात लोगों की मौत हो गई है. इसके साथ ही 100 से अधिक लोग घायल हुए हैं. मंगलवार को भी कई इलाकों में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. इस मामले को लेकर ग्राउंड से रिपोर्ट कर रहे द वायर के संवाददाताओं से रीतू तोमर की बातचीत.
वीडियो: नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ नई दिल्ली के सीलमपुर इलाके में बीते 16 दिनों से महिलाएं प्रदर्शन कर रही हैं. इन महिलाओं से सृष्टि श्रीवास्तव की बातचीत.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया का यह बयान उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शनों की रिपोर्टिंग कर रहे कई पत्रकारों को हिरासत में लेने के बाद आया है.
अंग्रेज़ी अख़बार ‘द हिंदू’ के पत्रकार उमर राशिद को लखनऊ में भाजपा दफ्तर के पास एक रेस्तरां से बीते शुक्रवार को पुलिस ने हिरासत में लिया था. पत्रकार के अनुसार, पुलिस ने उन पर नागरिकता क़ानून के विरोध में लखनऊ में हुई हिंसा की साजिश रचने का आरोप लगाया और उन पर सांप्रदायिक टिप्पणी भी की थी.
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में बीते शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, बहराइच, फ़िरोज़ाबाद, कानपुर, भदोही, बहराइच, बुलंदशहर, मेरठ, फ़र्रूखाबाद, संभल आदि शहरों में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी.
नागरिकता संशोधन क़ानून के खिलाफ मंगलवार को दिल्ली के सीलमपुर इलाके में हुआ प्रदर्शन हिंसक हो गया था. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया कि विपक्ष आगामी विधानसभा चुनाव में हार को महसूस कर हिंसा फैला रहा है.
वीडियो: नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में दिल्ली के सीलमपुर में मंगलवार को उग्र हुआ प्रदर्शन करीब साढ़े तीन घंटे तक पत्थरबाज़ी और आगज़नी के रूप में देखने को मिला. द वायर के शेखर तिवारी ने सीलमपुर के लोगों से बात कर वहां के हालात का जायज़ा लिया.
नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ लोगों प्रदर्शन कर रहे लोग ज़ाफ़राबाद की ओर बढ़ रहे थे. इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों की झड़प हो गई. प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े. हिंसा को देखते हुए दिल्ली मेट्रो के कुछ स्टेशनों को बंद कर दिया है.