तमिल फिल्म ‘जय भीम’ पर कथित तौर पर वन्नियार समुदाय को ग़लत तरीके से दिखाकर उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगा था. फिल्म साल 1995 में तमिलनाडु में हिरासत में यातना और एक ‘कोरवार’ आदिवासी समुदाय के व्यक्ति की मौत की सच्ची घटना पर आधारित कहानी है.
तमिल, तेलुगु सहित कई भाषाओं में आई फिल्म 'जय भीम' पर तमिलनाडु में विवाद खड़ा हो गया है. वन्नियार समुदाय का आरोप है कि फिल्म में उन्हें ग़लत तरीके से दिखाया गया है. निर्देशक टीजे ज्ञानवेल ने कहा कि विवाद की पूरी ज़िम्मेदारी उनकी है और इसके लिए अभिनेता सूर्या को निशाना बनाना अनुचित है.
टीजे ज्ञानवेल की जय भीम उम्मीद और नाउम्मीदी की फ़िल्म है. उम्मीद इसलिए कि यह दिखाती है कि इंसाफ़ के लिए लड़ा जा सकता है, जीता भी जा सकता है. नाउम्मीदी इसकी कि शायद हमारे इस वक़्त में यह सब कुछ एक सपना बनकर रह गया है.