भाजपा नेता एसवी शेखर ने 2018 के फेसबुक पोस्ट में एक महिला पत्रकार के बारे में अपमानजनक टिप्पणी थी और महिला पत्रकारों को ‘अनपढ़’, ‘बेवकूफ़’ और ‘बदसूरत’ भी कहा था. अदालत ने उन्हें जेल सज़ा सुनाई और 15,000 रुपये का जुर्माना लगाया था. जुर्माना भरने के बाद अदालत ने उन्हें हाईकोर्ट में अपील करने के लिए जेल की सजा को निलंबित कर दिया.
आईपीसी की धारा 304ए के तहत लापरवाही से मौत की सज़ा दो साल क़ैद और जुर्माना या दोनों है. भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक इस सज़ा को बढ़ाकर पांच साल कर देता है, हालांकि अन्य अपराधियों की तुलना में डॉक्टरों को अधिकतम दो साल की क़ैद का प्रावधान किया गया है.
छत्तीसगढ़ में बलात्कार के एक आरोपी को ट्रायल कोर्ट ने 12 साल क़ैद की सज़ा सुनाई थी, जिसे हाईकोर्ट ने घटाकर सात साल कर दिया था. इसके बावजूद अपराधी को 10 साल 3 महीने तक ज़ेल में रखा गया. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचने पर जेल अधीक्षक ने हाईकोर्ट के फ़ैसले पर अनभिज्ञता ज़ाहिर की, जिस पर अदालत ने राज्य सरकार पर जुर्माना लगाते हुए उसे अपने अधिकारी के इस कृत्य के लिए अप्रत्यक्ष तौर पर ज़िम्मेदार माना