जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एमएम समूह) के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने संगठन के 34वें महा अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत इस्लाम की जन्मस्थली और मुसलमानों का पहला वतन है. भारत हिंदी-मुसलमानों के लिए वतनी और दीनी, दोनों लिहाज़ से सबसे अच्छी जगह है.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने अपनी याचिका में दावा किया कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में धर्मांतरण-विरोधी क़ानूनों को अंतर-धार्मिक जोड़ों को ‘परेशान’ करने और उन्हें आपराधिक मामलों में फंसाने के लिए लागू किया गया है.
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि यूपी में मदरसों पर भाजपा सरकार की टेढ़ी नज़र है. मदरसा सर्वेक्षण के नाम पर क़ौम के चंदे पर चलने वाले निजी मदरसों में हस्तक्षेप का अनुचित प्रयास हो रहा है, जबकि सरकार को सरकारी अनुदान से चलने वाले मदरसों व सरकारी स्कूलों के बदतर हाल को सुधारने पर ध्यान देना चाहिए.
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के ग़ैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वेक्षण कराने का फैसला किया है, जिसे लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कहा कि मदरसे साप्रंदायिक लोगों की आंखों में खटकते हैं और इन्हें बदनाम नहीं किया जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय गृह सचिव से भीड़ हिंसा और नफ़रत भरे भाषण जैसी अप्रिय स्थितियों को रोकने के लिए निवारक, सुधारात्मक और उपचारात्मक उपायों के संबंध में उसके पूर्व के दिशानिर्देशों के अनुपालन को लेकर राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों से सूचना एकत्रित कर कोर्ट को इसकी जानकारी देने को कहा है.
मध्य प्रदेश के उज्जैन निवासी भाजपा के पूर्व सासंद चिंतामणि मालवीय ने पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 की धारा 2, 3 और 4 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए दावा किया गया है कि ये धाराएं धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करती हैं. उन्होंने कहा है इन धाराओं के माध्यम से बर्बर आक्रांताओं द्वारा अवैध रूप से बनाए गए ‘पूजा स्थलों’ को मान्य करने का प्रयास किया गया है.
उत्तराखंड के हरिद्वार में 17-19 दिसंबर के बीच हिंदुत्ववादी नेताओं द्वारा एक ‘धर्म संसद’ का आयोजन किया गया था, जिसमें मुसलमान एवं अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ नफ़रत भरे भाषण देने के साथ उनके नरसंहार का आह्वान भी किया गया था. इसी तरह दिल्ली में हिंदु युवा वाहिनी के एक कार्यक्रम में सुदर्शन टीवी के संपादक सुरेश चव्हाणके ने कहा था कि वह भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने के लिए ‘लड़ने, मरने और मारने’ के लिए तैयार हैं.
कोर्ट ने कहा कि इन याचिकाओं में कोई मेरिट नहीं है. कई मुस्लिम पक्ष, 40 कार्यकर्ता, हिंदू महासभा और निर्मोही अखाड़ा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी.
अखिल भारत हिंदू महासभा की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि विवादित ढांचे पर मुसलमानों का कोई अधिकार या मालिकाना हक़ नहीं है और इसलिए उन्हें पांच एकड़ ज़मीन आवंटित नहीं की जा सकती तथा किसी भी पक्षकार ने इस तरह की कोई ज़मीन मुसलमानों को आवंटित करने के लिए कोई अनुरोध या कोई दलील नहीं दी थी.
इससे पहले मूल वादकारियों में शामिल एम. सिद्दीक के वारिस और उत्तर प्रदेश जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अशहद रशीदी ने बीते दो दिसंबर को पुनर्विचार याचिका दायर की थी.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और अयोध्या विवाद में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर लिखा था कि उन्हें जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी के इशारे पर उनके वकील एजाज़ मकबूल द्वारा इस मामले से हटा दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने सोशल मीडिया पर लिखा कि उन्हें जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी के इशारे पर उनके वकील एजाज़ मकबूल द्वारा इस मामले से हटा दिया गया. उन्हें ऐसा करने का अधिकार है, लेकिन इसके लिए बताई जा रही वजह दुर्भावना से भरी और झूठी है. अब वे इस मामले में दायर पुनर्विचार याचिका से किसी तरह से नहीं जुड़े हैं.
उत्तर प्रदेश जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अशहद रशीदी की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि यद्यपि अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद के गुंबदों को नुकसान पहुंचाने और उसे गिराने का संज्ञान लिया, फिर भी विवादित स्थल को उसी पक्ष को सौंप दिया, जिसने अनेक ग़ैरक़ानूनी कृत्यों के आधार पर अपना दावा किया था.
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में प्रमुख मुस्लिम पक्षकार रहे उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि बोर्ड के आठ में से सात सदस्यों ने हिस्सा लिया. उनमें से एक सदस्य को छोड़कर बाकी छह सदस्यों ने अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले को चुनौती न देने के प्रस्ताव का समर्थन किया.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि अयोध्या जमीन विवाद मामले में जो फैसला आया उसने न्याय नहीं किया.