जेएनयू: वॉट्सऐप पर परीक्षा के विकल्प पर शिक्षक संघ ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजे गए पत्र में शिक्षक संघ ने लिखा है कि वॉट्सऐप से इम्तिहान लेने के प्रशासन के फ़ैसले से जेएनयू दुनिया भर के अकादमिक जगत में मज़ाक का पात्र बन जाएगा.

जेएनयू एक सामूहिक उपलब्धि है

जेएनयू कोई द्वीप नहीं है, वहां हमारे ही समाज से लोग पढ़ने जाते हैं. जो बात उसे विशिष्ट बनाती है, वो है उसके लोकतांत्रिक मूल्य. इनका निर्माण किसी एक व्यक्ति, पार्टी या संगठन ने नहीं, बल्कि भिन्न प्रकृति और विचारधारा के लोगों ने किया है. यदि ऐसा नहीं होता, तब किसी भी सरकार के लिए इसे ख़त्म करना बहुत आसान होता.

हमारे घरों के बच्चे जेएनयू आकर ‘देशद्रोही’ क्यों हो जाते हैं?

ऐसा क्यों है कि अलग-अलग जगहों से आने वाले बच्चे यहां आकर लड़ने वाले बच्चे बन जाते हैं? बढ़ी हुई फीस का मसला सिर्फ जेएनयू का नहीं है. घटी हुई आज़ादी का मसला भी सिर्फ जेएनयू का नहीं है.

जेएनयू बराबरी के समाज की सबसे ख़ूबसूरत संभावना है…

ऐसे सामाजिक पारिवारिक परिवेश, जिसमें उच्च शिक्षा की कल्पना डॉक्टरी-इंजीनियरिंग के दायरे से पार नहीं गई और नौकरी से परे शिक्षा को देखना एक तरह से अय्याशी और दूर की कौड़ी समझा जाता था, जेएनयू ने समझाया कि ये एक साज़िश है- समाज के बड़े तबके को बराबरी महसूस न होने देने की.

हरियाणा: उमर खालिद पर गोली चलाने वाले शख़्स को शिवसेना ने दिया टिकट

13 अगस्त 2018 को छात्र नेता उमर खालिद पर दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब के बाहर दो लोगों ने हमला किया था. इनमें से एक नवीन दलाल को शिवसेना ने बहादुरगढ़ विधानसभा सीट से टिकट दिया है.

जेएनयू छात्रसंघ चुनाव: कैंपस, कश्मीर और आर्थिक मंदी की चर्चा

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छह सितंबर को छात्रसंघ चुनाव है. ‘लेफ्ट यूनिटी’ के तहत एसएफआई, डीएसएफ, आइसा और एआईएसएफ, बापसा के साथ फ्रैटर्निटी और एनएसयूआई के साथ एमएसएफ चुनाव मैदान में हैं. एबीवीपी और छात्र-राजद बिना किसी गठबंधन के चुनाव लड़ रहे हैं.

रोमिला थापर समेत 12 प्रोफेसर एमेरिटस से बायोडाटा देने को कहा गया है: जेएनयू प्रशासन

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने स्पष्ट किया कि उसने यह पत्र किसी की सेवा को खत्म करने के लिए नहीं बल्कि विश्वविद्यालय की सर्वोच्च वैधानिक निकाय कार्यकारी परिषद द्वारा समीक्षा करने की जानकारी देने के लिए लिखा है और ऐसा अन्य प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों जैसे एमआईटी और प्रिसंटन विश्वविद्यालय में भी होता है.

गर्व है कि वीसी ने रोमिला थापर को बुलाकर कोरे कागज पर नाम लिख के दिखाने को नहीं कहा

किसी यूनिवर्सिटी के बर्बाद होने का जितना सामाजिक और राजनीतिक समर्थन भारत में मिलता है, उतना कहीं नहीं मिलेगा. हम बगैर गुरुओं के भारत को विश्व गुरु बना रहे हैं. रोमिला थापर को भारत को विश्व गुरु बनाने के प्रोजेक्ट में सहयोग करना चाहिए. बस इतनी गुज़ारिश है कि सीवी में अंग्रेज़ी थोड़ी हल्की लिखें वरना उन पर संस्कृत की उपेक्षा का इल्ज़ाम लग सकता है.

जेएनयू ने ‘मूल्यांकन’ के लिए प्रसिद्ध इतिहासकार रोमिला थापर से सीवी मांगा

प्रशासन ने कहा कि रोमिला थापर का सीवी यानी कि उनका शैक्षिक एवं कार्य अनुभव देखने के बाद यह फैसला किया जाएगा कि वह बतौर प्रोफेसर पढ़ाना जारी रखेंगी या नहीं. फिलहाल थापर जेएनयू में प्रोफेसर एमेरिटस हैं.

हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों के लिए जेएनयू वाम राजनीति से कहीं बढ़कर है

जेएनयू की प्रवेश परीक्षा में अब बहुविकल्पीय प्रश्न होंगे, जो अंग्रेजी में होंगे. इसका अर्थ हुआ कि हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों के लिए एक और राष्ट्रीय स्तर के संस्थान के दरवाज़े बंद हो गए.

आज़ादी के सत्तर साल बाद भी एक बीमार देश राष्ट्रवाद की ऊर्जा की तलाश में भटक रहा है

कश्मीर, आतंकवादी, वामपंथी, जेएनयू और जेएनयू टाइप, राष्ट्रवाद, दुर्गा, सब कुछ घालमेल हो जाता है. देश जैसे एक विक्षिप्तता में बड़बड़ा रहा है. सन्निपात से उसे होश में लाना नामुमकिन हो रहा है.

जेएनयू राजद्रोह मामला: कन्हैया, उमर और ​अनि​र्बान के ख़िलाफ़ पुलिस जल्द दाख़िल करेगी चार्जशीट

साल 2016 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुए एक कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर देशविरोधी नारे लगाने को लेकर राजद्रोह के आरोपों में कन्हैया कुमार, उमर ख़ालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को गिरफ़्तार किया गया था.

मोदी सरकार को समझना चाहिए कि उच्च शिक्षा संस्थान जनसंपर्क कार्यालय नहीं होते

सीसीएस जैसे क़ानूनों का उद्देश्य उच्च शिक्षा के उद्देश्यों को ही ध्वस्त कर देना है. उच्च शिक्षा में विकास तब तक संभव नहीं है जब तक विचारों के आदान-प्रदान की आज़ादी नहीं हो. अगर इन संस्थाओं की ये भूमिका ही समाप्त हो जाए तो उच्च शिक्षा की आवश्यकता ही क्या रहेगी? शिक्षक और शोधार्थी सरकारी कर्मचारी की तरह व्यवहार नहीं कर सकते.

हिंदुत्व विचारक राजीव मल्होत्रा और स्वपन दासगुप्ता जेएनयू में मानद प्रोफेसर नियुक्त

हिंदुत्ववादी विचारक राजीव मल्होत्रा के साथ पत्रकार से राज्यसभा सांसद बने भाजपा समर्थक स्वपन दासगुप्ता भी विश्वविद्यालय द्वारा मानद प्रोफेसर बनाए गए हैं.

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