शीर्ष अदालत ने बीते 11 नवंबर को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या मामले में नलिनी श्रीहरन सहित छह दोषियों को समय से पहले रिहा करने का आदेश दिया था. केंद्र सरकार ने भी इसके ख़िलाफ़ पुनर्विचार याचिका दायर की है.
शीर्ष अदालत ने 11 नवंबर को नलिनी श्रीहरन सहित छह दोषियों को समय से पहले रिहा करने का आदेश दिया था. न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार द्वारा अपराधियों की सज़ा में छूट की सिफ़ारिश के आधार पर यह आदेश दिया था. उसके बाद नलिनी के अलावा आरपी रविचंद्रन, संथन, मुरुगन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार जेल से बाहर आ गए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले के दोषियों में से एक आरोपी एजी पेरारिवलन के मामले में शीर्ष अदालत का पहले दिया गया फैसला, इस मामले में भी लागू होता है. राजीव गांधी हत्याकांड के सात दोषी नलिनी श्रीहरन, मुरुगन, संथन, एजी पेरारिवलन, जयकुमार, रॉबर्ट पायस और आरपी रविचंद्रन हैं.
तमिलनाडु के श्रीपेरुम्बदुर में 21 मई, 1991 को एक चुनावी रैली के दौरान एक महिला आत्मघाती हमलावर ने ख़ुद को विस्फोट से उड़ा लिया था, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मौत हो गई थी. महिला की पहचान धनु के तौर पर हुई थी. मामले के चारों दोषियों एजी पेरारिवलन, मुरुगन, संथन और नलिनी को मौत की सज़ा दी गई थी, जिसे बाद में उमक़ैद में बदल दिया गया था.
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की दोषी नलिनी श्रीहरन ने अपनी ज़मानत याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए एक अन्य दोषी एजी पेरारिवलन को ज़मानत दी कि वह 32 साल से भी अधिक समय तक जेल में रहे. नलिनी ने कहा कि वह भी तीन दशकों से अधिक समय से जेल में है और जमानत पाने की हक़दार है.
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या मामले में उम्रक़ैद की सज़ा काट रहे एजी पेरारिवलन ने अनुच्छेद 161 के तहत राज्यपाल के पास माफ़ी के लिए याचिका दायर की थी. 21 मई, 1991 में तमिलनाडु के श्रीपेरम्बदूर में एक चुनावी सभा के दौरान एक महिला आत्मघाती हमलावर ने राजीव गांधी की हत्या कर दी थी.
तमिलनाडु सरकार के राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई के फ़ैसले पर शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा था, जिस पर केंद्र ने कहा कि ऐसा करना एक ख़तरनाक परंपरा की शुरुआत करना होगा.