कर्नाटक में कांग्रेस के मीडिया समन्वयक एमए सलीम और पूर्व लोकसभा सदस्य वीएस उग्रप्पा के बीच उस बातचीत का वीडियो सामने आया है, जिसमें एक घोटाले में पार्टी प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार की कथित संलिप्तता का ज़िक्र किया गया है. इसे लेकर पार्टी ने सलीम को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया और पार्टी प्रवक्ता उग्रप्पा को ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किया है.
कर्नाटक के पूर्व मंत्री और कागवाड़ से विधायक श्रीमंत पाटिल उन 16 विधायकों मे शामिल थे, जो 2019 में कांग्रेस पार्टी से भाजपा में शामिल हो गए थे, जिसके बाद राज्य की एचडी कुमारस्वामी की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार गिर गई थी. पाटिल का कहना है कि पैसे की यह पेशकश ‘ऑपरेशन लोटस’ के दौरान की गई थी, जब येदियुरप्पा सरकार सत्ता में आई थी.
पेगासस प्रोजेक्ट के तहत द वायर द्वारा की गई समीक्षा में सामने आया है कर्नाटक में 2019 में जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन की सरकार गिरने से पहले पूर्व उपमुख्यमंत्री जी. परमेश्वर और तत्कालीन मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के निजी सचिवों के फोन नंबर को संभावित हैकिंग के लिए बतौर टारगेट चुना गया था. कांग्रेस ने पूरे मामले की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में स्वतंत्र जांच की मांग की है.
वीडियो: इज़रायल के एनएसओ ग्रुप के अज्ञात भारतीय क्लाइंट की दिलचस्पी वाले फोन नंबरों के रिकॉर्ड की द वायर द्वारा की गई समीक्षा के अनुसार, जुलाई 2019 में कर्नाटक में विपक्ष की सरकार को गिराने के लिए पूर्व उपमुख्यमंत्री जी. परमेश्वर और तत्कालीन मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के निजी सचिवों को निगरानी के लिए संभावित लक्ष्य के रूप में चुना गया था.
पेगासस प्रोजेक्ट: रिकॉर्ड्स दिखाते हैं कि 2019 में कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार गिरने से पहले पूर्व उपमुख्यमंत्री जी. परमेश्वर और तत्कालीन मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी व पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के निजी सचिवों के फोन नंबर को संभावित हैकिंग के टारगेट के बतौर चुना गया था.
कर्नाटक की बीएस येदियुरप्पा सरकार में मंत्री रमेश जारकिहोली ने एक आपत्तिजनक सीडी बरामद होने और यौन उत्पीड़न के आरोपों के बीच इस्तीफ़ा दे दिया था. इसके बाद भाजपा सरकार के छह अन्य मंत्रियों ने अदालत का रुखकर मीडिया को उनके ख़िलाफ़ कोई भी अपमानजनक सामग्री प्रकाशित या प्रसारित करने से रोकने का अनुरोध किया था.
कर्नाटक विधानसभा के बृहस्पतिवार से शुरू हो रहे बजट सत्र के पहले जल संसाधन मंत्री रमेश जारकिहोली के ख़िलाफ़ इस तरह के आरोप लगने से बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार आलोचनाओं से घिर गई थी. राज्य में विपक्षी कांग्रेस और जेडीएस मंत्री के इस्तीफ़े की मांग कर रहे थे.
भाजपा के विधान परिषद सदस्य एएच विश्वनाथ उन 17 विधायकों में शामिल हैं, जिन्हें कर्नाटक विधानसभा से अयोग्य घोषित किया गया था और इसी कारण एचडी कुमारस्वामी की अगुवाई वाली तत्कालीन जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार गिर गई थी.
कर्नाटक के बेंगलुरु शहरी ज़िला स्थित आरआर नगर सीट पर भाजपा उम्मीदवार एन. मुनिरत्न और तुमकुरु ज़िले की सिरा सीट पर पार्टी उम्मीदवार बीएम राजेश गौड़ा विजयी रहे.
इससे पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कांग्रेस और जेडीएस के उन सभी 17 विधायकों को मंत्री पद देने का वादा किया था, जिन्होंने 2019 में भाजपा को सरकार बनाने में मदद की थी. 17 में से 15 सीटों पर पिछले साल दिसंबर में उपचुनाव हुआ था, जबकि दो सीटों पर तीन नवंबर को मतदान हो रहा है.
पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने भारत-चीन गतिरोध को लेकर दिए जा रहे बयानों पर कहा कि यह समय भड़काऊ भाषा तथा बदला लेने का नहीं है. अनुचित बयानबाज़ी से भारतीय सैनिकों तथा राजनयिक स्टाफ के जीवन के लिए जोखिम पैदा होगा.
कर्नाटक से चार राज्यसभा सीटों के लिए 19 जून को चुनाव होना था, हालांकि इसके लिए मतदान की आवश्यकता नहीं पड़ी क्योंकि किसी भी दल ने एक-दूसरे के ख़िलाफ़ अतिरिक्त उम्मीदवार खड़ा नहीं किया.
लॉकडाउन नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कर्नाटक के रामनगर ज़िले के भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि अब तक रामनगर कोरोना वायरस के संक्रमण से सुरक्षित है. अगर ज़िले में यह वायरस फैलता है तो इसकी पूरी ज़िम्मेदारी देवेगौड़ा परिवार की होगी. जद (एस) ने आरोपों का खंडन किया है.
लौह अयस्क समृद्ध बेल्लारी जिले से चार बार के विधायक आनंद सिंह को सोमवार को कर्नाटक की बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री बनाया गया था लेकिन पोर्टफोलियों में बदलाव की मांग के एक दिन बाद ही उन्हें वन, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी मंत्री बना दिया गया.
पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कांग्रेस विधायक दल के नेता और दिनेश गुंडू राव ने पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. कांग्रेस और जेडीएस के 17 विधायकों की बगावत के बाद कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली पिछली सरकार जुलाई में गिर गई थी. बागी विधायकों को अयोग्य क़रार दिए जाने के कारण ये उपचुनाव कराया गया.