झारखंड के गुमिया ज़िले के सिसई में सुरक्षा बलों और ग्रामीणों की झड़प के दौरान गोलीबारी में एक ग्रामीण की मौत हो गई. दूसरे चरण के चुनाव में मुख्यमंत्री रघुबर दास समेत 260 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. जमशेदपुर पूर्वी सीट पर मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ उनकी ही सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे सरयू राय चुनाव लड़ रहे हैं.
चुनाव अधिकारियों ने बताया कि कुछ स्थानों पर हिंसा की मामूली वारदात देखने को मिली, हालांकि कुल मिलाकर मतदान शांतिपूर्ण रहा. अभी दूरदराज़ के कई नक्सल प्रभावित इलाकों से अंतिम रिपोर्ट आना बाकी है. वहां की रिपोर्ट आने के बाद मतदान का प्रतिशत और बढ़ने की संभावना है.
बिहार में भाजपा की एक अन्य सहयोगी जदयू ने भी झारखंड चुनाव में अकेले उतरने का ऐलान किया है. वहीं, झारखंड में भाजपा की सहयोगी एजेएसयू ने भी भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारने का एकपक्षीय ऐलान कर दिया है.
राज्य में 30 नवंबर को पहले चरण, सात दिसंबर को दूसरे चरण, 12 दिसंबर को तीसरे चरण, 16 दिसंबर को चौथे और 20 दिसंबर को पांचवें एवं आखिरी चरण का मतदान होगा.
राज्य के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की ओर से राज्य की कल्याणकारी योजनाओं पर लेख लिखने के लिए इच्छुक पत्रकारों से आवेदन मांगे गए. चार लेख लिखने वाले 30 चुनिंदा पत्रकारों को 15,000 रुपये दिए जाएंगे. विभाग ने बताया कि बड़ी संख्या में पत्रकारों से आवेदन मिले हैं.
जदयू पर अपने चुनाव चिह्न ‘तीर’ के साथ चुनाव लड़ने से इसलिए रोक लगाई गई है क्योंकि झारखंड मुक्ति मोर्चा और शिवसेना के चुनाव चिह्न ‘धनुष और तीर’ यह काफी मिलता-जुलता है.
झारखंड में महागठबंधन और जन विरोध के बावजूद भाजपा बड़ी जीत हासिल करने में कामयाब रही. राज्य गठन के बाद हुए लोकसभा चुनावों के वोट शेयर का आकलन किया जाए, तो यह स्पष्ट होता है कि झारखंड लंबे समय से इस परिणाम की ओर बढ़ रहा था. अब सवाल ये है कि क्या वे लोकसभा चुनाव में मिली हार के अनुभव से सीखते हुए चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं.
झारखंड की सभी 14 लोकसभा सीटों के लिए महागठबंधन में शामिल कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा, झारखंड विकास मोर्चा और राजद ने किसी भी अल्पसंख्यक चेहरे को चुनाव मैदान में नहीं उतारा है.
झारखंड में भूमि अधिग्रहण क़ानून में संशोधन के ख़िलाफ़ आदिवासी संगठनों, विपक्षी दलों तथा जनता का गुस्सा फूट पड़ा है. आरोप है कि कॉरपोरेट घराने तथा पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रदेश की भाजपा सरकार ने यह क़दम उठाया है.
झारखंड के गिरिडीह ज़िले में पुलिस द्वारा नक्सली बताकर मारे गए मोतीलाल बास्के की पत्नी पार्वती मुर्मू इंसाफ़ के लिए संघर्ष कर रही हैं.