सोशल मीडिया को उत्तर प्रदेश सरकार के जलशक्ति मंत्री दिनेश खटीक द्वारा गृह मंत्री अमित शाह को भेजा गया त्याग-पत्र वायरल हो रहा है. इसमें उन्होंने उन्हें 100 दिनों से कोई काम नहीं दिए जाने का दावा करने के साथ विभागीय तबादलों में अनियमितता का आरोप लगाया है. इधर, बताया जा रहा है कि योगी सरकार में लोक निर्माण विभाग मंत्री जितिन प्रसाद अपने ओएसडी को निलंबित किए जाने से नाराज़ हैं और भाजपा नेतृत्व से मिलने दिल्ली गए हुए
जितिन प्रसाद उत्तर प्रदेश सरकार में लोक निर्माण विभाग मंत्री हैं. मामला उनके तहत आने वाले पीडब्ल्यूडी विभाग में इंजीनियरों के तबादले से जुड़ा है. पिछले एक महीने में 150 से अधिक तबादले किए गए हैं. 18 जुलाई को उनके ओएसडी को पैसा लेकर तबादला करने संबंधी आरोपों के बाद हटा दिया गया था. शिकायतें मिलने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले की जांच के आदेश दिए थे.
हाल में संपन्न हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में योगी आदित्यनाथ ने इतिहास रचा और पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद राज्य में सत्ता में लौटने वाले पहले मुख्यमंत्री बन गए हैं. इसके साथ ही भाजपा 1985 के बाद से उत्तर प्रदेश में सत्ता बरक़रार रखने वाली पहली पार्टी बन गई है.
उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार मंत्रिमंडल विस्तार में पिछड़ी मानी जाने वाली जातियों के नेताओं को जगह देकर उनकी शुभचिंतक होने का डंका पीट रही है. हालांकि जानकारों का सवाल है कि यदि ऐसा ही है तो प्रदेश के यादवों, जाटवों और राजभरों पर उसकी यह कृपा क्यों नहीं बरसी?
उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल का विस्तार ऐसे समय में किया गया है, जब विधानसभा चुनाव में बमुश्किल पांच महीने रह गए हैं. बीते जून महीने में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए जितिन प्रसाद के अलावा पलटू राम, धर्मवीर सिंह, छत्रपाल सिंह गंगवार, संगीता बलवंत, संजीव कुमार गौड़ और दिनेश खटिक ने शपथ ली. प्रसाद को कैबिनेट मंत्री, जबकि अन्य को राज्य मंत्री का पद दिया गया है.
जितिन प्रसाद उन 23 नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने पिछले साल कांग्रेस में सक्रिय नेतृत्व और संगठनात्मक चुनाव की मांग को लेकर पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी. तब उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी ज़िले की कांग्रेस कमेटी ने प्रस्ताव पारित कर उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की थी, जिसे लेकर विवाद भी हुआ था. उनका भाजपा में शामिल होना उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए एक बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के निष्काषित नेताओं के पत्र लिखने वाले दिन ही पार्टी ने प्रदेश के लिए सात महत्वपूर्ण समितियों का गठन किया है. इनमें उन नेताओं को जगह नहीं मिली है, जो कांग्रेस में संगठनात्मक बदलाव को लेकर सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले 23 नेताओं में शामिल थे.
कांग्रेस में संगठनात्मक बदलाव को लेकर पत्र लिखने वाले 23 नेताओं में शामिल पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने कहा कि इसे लिखने का मक़सद नेतृत्व को कमतर दिखाना नहीं था. इसे बस यह सुझाव देने के इरादे से लिखा गया था कि कैसे पार्टी को फिर से खड़ा किया जाए और मज़बूती दी जाए.