जेएनयू के प्रोफेसर राजीव कुमार का आरोप है कि फरवरी 2020 में पूर्व वीसी जगदीश कुमार के कार्यकाल में उनके ख़िलाफ़ शुरू की गई जांच उनके द्वारा साल 2006 में आईआईटी-जेईई परीक्षा के संचालन में उजागर की गई गड़बड़ियों का प्रतिशोध थी. जगदीश कुमार 2006-2008 के बीच आईआईटी के एडमिशन बोर्ड के सदस्य थे.
वीडियो: क्या भारत के विश्वविद्यालयों के अंदर शैक्षणिक स्वतंत्रता नाम की कोई चीज़ बची है? यूनिवर्सिटी की परिभाषा विचारों के आदान-प्रदान की जगह की है, लेकिन क्या आज हिंदुस्तान में ऐसी कोई जगह बच पाई है? चर्चा कर रहे हैं द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन और डीयू के प्रोफेसर अपूर्वानंद.
सरकार जिस उमर ख़ालिद उनके मज़हब तक सीमित कर देना चाहती है, पर वो एक गंभीर शोधार्थी हैं, जिनकी पीएचडी का विषय सिंहभूम का आदिवासी समाज हैं. उनकी थीसिस में लिखा गया हर शब्द एक ऐसे शख़्स को हमारे सामने लाता है, जो बेहद गहराई से लोकतंत्र और इसके अभ्यासों के साथ जिरह कर रहा है.
हमारी हालत अब भी उस पक्षी जैसी है, जो लंबी क़ैद के बाद पिंजरे में से आज़ाद तो हो गया हो, पर उसे नहीं पता कि इस आज़ादी का करना क्या है. उसके पास पंख हैं पर ये सिर्फ उस सीमा में ही रहना चाहता है जो उसके लिए निर्धारित की गई है.
स्मृति शेष: भारतीय कला, संग्रहालयों की मर्मज्ञ इतिहासकार और जेएनयू शिक्षक कविता सिंह रीढ़विहीन होती जा रही भारत की अकादमिक दुनिया में उन बिरले लोगों में से थीं, जिन्होंने अकादमिक स्वायत्तता का पुरज़ोर समर्थन किया. अकादमिक दुर्दशा के हालिया दौर में उनका असमय चले जाना बड़ी क्षति है.
दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में बीते 6 जून की रात नशे में धुत कुछ कार सवार युवक कैंपस में घुस आए और दो छात्राओं के साथ छेड़छाड़ कर उन्हें कार में खींचने का प्रयास किया. उनके द्वारा एक छात्र के साथ भी मारपीट की गई. घटना के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने रात 10 से सुबह 6 बजे के बीच बाहरी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी है.
जेएनयू के नए नियमों के तहत कहा गया था कि छात्रों पर धरना देने को लेकर 20,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है और उनका प्रवेश रद्द किया जा सकता है या यदि वे घेराव करते हैं तो 30,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है या वे हिंसा के आरोपी ठहराए जा सकते हैं.
दिल्ली विश्वविद्यालय में पीएचडी प्रवेश की अपारदर्शी प्रक्रिया ने छात्रों को ढेरों अनसुलझे सवालों के साथ छोड़ दिया है.
जेएनयू के कुलपति के रूप में एक साल का कार्यकाल पूरा कर चुकीं शांतिश्री डी. पंडित ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में विश्वविद्यालय की छवि ‘राष्ट्र विरोधी’ के तौर पर बना दी गई, लेकिन अब जेएनयू अकादमिक नवोन्मेष और अनुसंधान उत्कृष्टता के रूप में लौट आया है.
पुण्यतिथि विशेष: गोरख पांडे कहते थे कि उनके लिए कविता और प्रेम ही दो ऐसी चीजें थीं, जहां व्यक्ति को मनुष्य होने का बोध होता है. भावनाओं को वे अस्तित्व की निकटतम अभिव्यक्ति मानते थे.
डीयू के साथ आंबेडकर विश्वविद्यालय में भी छात्र संगठनों ने गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी की भूमिका से संबंधित बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की घोषणा की थी. छात्रों का कहना है कि इसे रोकने के लिए पुलिस बुलवाई गई और बिजली काट दी गई. वहीं, महाराष्ट्र में टिस ने विद्यार्थियों को डॉक्यूमेंट्री दिखाने से मना किया है.
गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी की भूमिका से संबंधित बीबीसी डॉक्यूमेंट्री का भारत में प्रसारण रोकने के लिए केंद्र सरकार हर संभव प्रयास कर रही है, बावजूद इसके गुरुवार को देश में कम से कम तीन जगह- तिरुवनंतपुरम में कांग्रेस और कोलकाता एवं हैदराबाद में स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया ने इसकी स्क्रीनिंग आयोजित की.
दिल्ली स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया के गेट पर दंगा रोधी पुलिस तैनात की गई है. जानकारी के अनुसार, स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने दावा किया कि दिल्ली पुलिस ने 70 से अधिक ऐसे छात्रों को हिरासत में लिया है, जबकि पुलिस ने सिर्फ चार छात्रों को हिरासत में लेने की बात कही है. इससे पहले जेएनयू में कथित बिजली कटौती और पथराव के बीच गुजरात दंगों में प्रधानमंत्री की भूमिका से संबंधित बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग हुई थी.
बीबीसी की ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ डॉक्यूमेंट्री में बताया गया है कि ब्रिटेन सरकार द्वारा करवाई गई गुजरात दंगों की जांच में नरेंद्र मोदी को सीधे तौर पर हिंसा के लिए ज़िम्मेदार पाया गया था. सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर इसके लिंक ब्लॉक करने का आदेश दिए जाने के बाद कई विश्वविद्यालयों में इसकी स्क्रीनिंग की जा रही है.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की कुलपति शांतिश्री धुलिपुडी पंडित ने जेएनयू के इतिहासकारों का ज़िक्र करते हुए कहा कि हम झूठी बुनियाद पर इतिहास नहीं लिख सकते, जो हम पिछले 75 साल से करते आ रहे हैं और मेरा विश्वविद्यालय इसमें बहुत अच्छा रहा है, लेकिन अब इसमें बदलाव दिखने लगा है.