असम के बराक घाटी के तीन ज़िलों के 150 से अधिक पत्रकारों ने मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा को पत्र लिखकर ‘बराक बुलेटिन’ न्यूज़ पोर्टल चलाने वाले पत्रकार अनिर्बान रॉय चौधरी के ख़िलाफ़ सभी आरोपों को रद्द करने की मांग की है. पत्रकारों ने इस घटना को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर हमला बताया.
असम के कछार ज़िले में ‘बराक बुलेटिन’ नामक न्यूज़ पोर्टल चलाने वाले पत्रकार अनिर्बान रॉय चौधरी को पुलिस से समन प्राप्त हुआ है. बीते एक दिसंबर को उनके ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर में आरोप लगाया गया है कि उनके एक लेख के कारण असम के बंगाली और असमिया भाषी लोगों के बीच का भाईचारा बिगड़ सकता है.
पुलिस द्वारा यह कार्रवाई कठोर यूएपीए क़ानून के तहत पिछले साल दर्ज एक मामले को लेकर की गई है, जो कश्मीर के पत्रकारों व कार्यकर्ताओं को जान से मारने की धमकी से जुड़ा हुआ है.
जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह एफआईआर दर्ज करना पत्रकार को ‘चुप कराने’ का तरीका था. पत्रकार की एक रिपोर्ट 19 अप्रैल 2018 को जम्मू के एक अख़बार में प्रकाशित हुई थी, जो एक व्यक्ति को पुलिस हिरासत में प्रताड़ित करने से संबंधित थी. इसे लेकर पुलिस ने उन पर केस दर्ज किया था.
उत्तर प्रदेश की महराजगंज पुलिस का आरोप है कि ज़िले के सोनौली क़स्बे में नेपाल जा रहे ट्रक चालकों से रंगदारी वसूलने के चलते पत्रकार के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है. पत्रकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि चूंकि उन्होंने पुलिस द्वारा ट्रक ड्राइवरों से जबरन वसूली करते हुए उनका वीडियो रिकॉर्ड कर लिया था, इसलिए उन पर ये कार्रवाई हुई है.
बीते जून में न्यूज़ वेबसाइट ‘स्क्रोल’ की कार्यकारी संपादक सुप्रिया शर्मा के ख़िलाफ़ यूपी पुलिस ने एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) क़ानून और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज़ किया था. इलाहबाद हाईकोर्ट ने उन्हें गिरफ़्तारी से संरक्षण देते हुए एफआईआर रद्द करने की उनकी याचिका को नामंज़ूर कर दिया है.
उत्तर प्रदेश के कानपुर से प्रकाशित एक अख़बार के पत्रकार 25 वर्षीय शुभम मणि त्रिपाठी ने अपनी हत्या से पहले अधिकारियों को पत्र लिखकर क्षेत्र के भू-माफिया और रेत माफिया से अपनी जान को ख़तरा होने की आशंका जताई थी.
प्रधानमंत्री के गोद लिए गए गांव से संबंधित एक रिपोर्ट पर पत्रकार सुप्रिया शर्मा के ख़िलाफ़ वाराणसी में केस दर्ज़ किया गया है. मीडिया संगठनों का कहना है कि अधिकारियों द्वारा क़ानूनों के इस तरह से दुरुपयोग की बढ़ती प्रवृत्ति भारत के लोकतंत्र के एक प्रमुख स्तंभ को नष्ट करने की तरह है.
समाचार पोर्टल ‘स्क्रोल डॉट इन’ की कार्यकारी संपादक सुप्रिया शर्मा और एडिटर-इन-चीफ के ख़िलाफ़ एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) क़ानून 1989 और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत उत्तर प्रदेश पुलिस ने केस दर्ज़ किया है.