26 जनवरी 2021 को नई दिल्ली में कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे एक प्रदर्शनकारी की मौत संबंधी रिपोर्ट के सिलसिले में यूपी पुलिस द्वारा द वायर, इसके संपादक सिद्धार्थ वरदराजन और रिपोर्टर इस्मत आरा पर दर्ज एफआईआर ख़ारिज करते हुए अदालत ने कहा कि ख़बर में किसी तरह का कोई उकसावा नहीं था.
उत्तरी वेस्ट बैंक के जेनिन क़स्बे में शरणार्थी शिविर पर इज़रायली सेना की कार्रवाई के दौरान हुई गोलीबारी में अल-जज़ीरा की पत्रकार शिरीन अबू अकलेह की मौत हो गई और एक अन्य फलस्तीनी पत्रकार घायल हो गए हैं. शिरीन वहां रिपोर्टिंग के लिए मौजूद थीं. इज़रायल ने पत्रकार की मौत उसकी सेना की गोलीबारी से होने से इनकार किया है.
रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि नेपाल को छोड़कर भारत के अन्य पड़ोसी देशों की रैंकिंग में भी गिरावट आई है. रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स और नौ अन्य मानवाधिकार संगठनों ने भारतीय अधिकारियों से पत्रकारों और ऑनलाइन आलोचकों को उनके काम के लिए निशाना बनाना बंद करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि आतंकवाद और देशद्रोह क़ानूनों के तहत उन पर मुक़दमा चलाना बंद कर देना चाहिए.
बंद का आह्वान संयुक्त पत्रकार संघर्ष मोर्चा ने किया था. इसे व्यापारी, वकील और अन्य संगठनों का भी समर्थन मिला. बता दें कि यूपी बोर्ड की 12वीं की परीक्षा का अंग्रेजी का पेपर 30 मार्च को लीक हो गया था. इस आरोप में पुलिस ने बलिया के तीन पत्रकारों को गिरफ़्तार किया है. स्थानीय पत्रकार संघों का आरोप है कि पत्रकारों को पेपर लीक होने की ख़बर करने के चलते फंसाया गया.
कुछ दिन पहले मध्य प्रदेश के सीधी ज़िले के कोतवाली थाने के भीतर अर्धनग्न अवस्था में खड़े कुछ लोगों की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी. आरोप है कि स्थानीय भाजपा विधायक केदारनाथ शुक्ल के इशारे पर पुलिस ने पत्रकार और अन्य लोगों को सबक सिखाने के लिए उन्हें हिरासत में लेकर उनके कपड़े उतरवाए और लगभग नग्न अवस्था में उनकी तस्वीर सार्वजनिक कर दी.
ओडिशा के बालासोर ज़िले का मामला. पत्रकार लोकनाथ दलेई का आरोप है कि ज़िले में भ्रष्टाचार से संबंधित एक रिपोर्ट करने की वजह से पुलिस ने पहले उनसे मारपीट भी की है. राज्य मानवाधिकार आयोग ने इस संबंध में बालासोर के पुलिस महानिरीक्षक से 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट मांगी है.
हरियाणा में एक आयोजन में शामिल होने आए योग गुरु बाबा रामदेव पत्रकारों से बात करते हुए पेट्रोल-डीज़ल के दामों में वृद्धि का समर्थन कर रहे थे, तभी एक पत्रकार ने उन्हें उनका पुराना बयान याद दिलाया जिसमें यूपीए सरकार के समय उन्होंने ऐसी सरकार के लिए वोट करने की अपील की थी, जिसके कार्यकाल में 40 रुपये लीटर पेट्रोल बिकेगा. पत्रकार का सवाल सुन रामदेव भड़क गए और उसे धमकी दे डाली.
आगरा के पत्रकार गौरव बंसल को हाल ही में उत्तर प्रदेश में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में कथित तौर पर धांधली की रिपोर्टिंग करने के बाद 15 मार्च को गिरफ़्तार किया गया था. बंसल के वकील का कहना है कि उन्हें पुलिस ने थर्ड डिग्री टॉर्चर किया और अपमानित किया.
इंडिया राइटर्स नामक वेबसाइट और मैगज़ीन के संपादक नीलेश शर्मा को एक कांग्रेस नेता की शिकायत पर गिरफ़्तार किया गयाथा. इन नेता का आरोप था कि शर्मा अपने कॉलम में भूपेश बघेल सरकार के ख़िलाफ़ व्यंग्यात्मक लेख लिखते हैं. अब पुलिस ने उनके फोन से अश्लील सामग्री मिलने का दावा करते हुए उन पर वेश्यावृत्ति में शामिल होने का मामला दर्ज किया है.
इंडिया राइटर्स नामक वेबसाइट और मैगज़ीन के संपादक नीलेश शर्मा के ख़िलाफ़ एक कांग्रेस नेता ने शिकायत दर्ज कराई है. उनका आरोप है कि नीलेश 'घुरवा की माटी' नामक अपने कॉलम में जिन काल्पनिक पात्रों का ज़िक्र करते हैं वे कांग्रेसी विधायकों और मंत्रियों से मिलते-जुलते हैं.
हिंदी अख़बार ‘दैनिक भास्कर’ में लगातार 26 साल से ‘परदे के पीछे’ के नाम का स्तंभ लिखने वाले 82 वर्षीय फिल्म लेखक और समीक्षक जयप्रकाश चौकसे लंबे समय से कैंसर से पीड़ित थे. पांच दिन पहले ही उन्होंने इस स्तंभ की आख़िरी किश्त लिखते हुए अपने पाठकों से विदा मांगी थी.
पांच जनवरी की रात वेब पोर्टल 'द कश्मीर वाला' के साथ जुड़े ट्रेनी पत्रकार और छात्र सज्जाद गुल को आपराधिक साज़िश के आरोप में बांदीपोरा ज़िले में उनके घर से गिरफ़्तार किया गया था. इस मामले में ज़मानत मिलने के बाद पुलिस द्वारा उन्हें जन सुरक्षा क़ानून के तहत मामले दर्ज करते हुए जेल भेज दिया गया.
वरिष्ठ पत्रकार और एनडीटीवी इंडिया के एग्जीक्यूटिव एडिटर कमाल ख़ान का शुक्रवार को लखनऊ में हृदयाघात से निधन हो गया. वे अपनी नफ़ासत भरी शैली और भाषा पर पकड़ के लिए जाने जाते थे.
ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित कोंकणी लेखक दामोदर मौउजो के पास वह क्षमता है जो उन्हें तात्कालिक बात से आगे देखने का मौक़ा देती है, जिसने उन्हें इस बात के लिए भी प्रेरित किया है कि वह ताउम्र महज़ कलम और कागज़ तक अपने को सीमित न रखें बल्कि सामाजिक-राजनीतिक तौर पर अहम मुद्दों पर भी बोलें, यहां तक कि समाज में पनप रहे दक्षिणपंथी विचारों, उनकी डरावनी हरकत के बारे में भी मौन न रहें.
पेशेवर करिअर की शुरुआत एक पत्रकार के रूप में करने वाले चीफ जस्टिस एनवी रमना ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि पूर्व में हमने घोटालों और कदाचार को लेकर अख़बारों की रिपोर्ट देखी हैं, जिनसे हलचल पैदा हुई हैं, लेकिन हाल के सालों में बेमुश्किल एक या दो को छोड़कर इस तरह की कोई खोजी रिपोर्ट याद नहीं आती.