हिंदुस्तान में बढ़ती फ़िरक़ापरस्ती पर जज़्बाती हुए वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने द वायर के लिए करण थापर को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि मस्जिदों के सर्वेक्षण की अनुमति देकर पूर्व सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 'संविधान और देश के साथ बहुत अन्याय किया' है.

न्यायिक स्वतंत्रता का अर्थ हमेशा सरकार के ख़िलाफ़ फ़ैसला देना नहीं: सीजेआई चंद्रचूड़

एक राष्ट्रीय दैनिक से जुड़े कार्यक्रम में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि बहुत सारे वर्ग या समूह हैं, जो कहते हैं कि अगर आप मेरे पक्ष में फैसला करते हैं, तो आप स्वतंत्र हैं. अगर आप मेरे पक्ष में फैसला नहीं करते हैं, आप स्वतंत्र नहीं हैं. इसी बात से मुझे आपत्ति है.

एक्सक्लूसिव: फुल कोर्ट बैठक के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ और कुछ जजों के बीच हुई थी तीखी बहस

इस अगस्त में कुछ वकीलों को वरिष्ठ अधिवक्ता का दर्जा देने के संबंध में हुई उच्चतम अदालत की एक फुल कोर्ट मीटिंग के दौरान मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ को कुछ न्यायाधीशों के तीखे विरोध का सामना करना पड़ा था.

जस्टिस संजीव खन्ना देश के अगले प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किए गए

1983 में दिल्ली बार काउंसिल में वकील के तौर पर शामिल हुए जस्टिस संजीव खन्ना साल 2005 में दिल्ली उच्च न्यायालय में जज बने थे. 2019 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के बतौर प्रोन्नत किया गया था. वे 13 मई 2025 तक सीजेआई का पद संभालेंगे.

‘जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के ख़िलाफ़ अधिकार’ जीवन व समानता के अधिकारों का हिस्सा: कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने एक पक्षी के निवास स्थान को खोने से बचाए जाने की याचिका सुनते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन की अनिश्चितताओं से अप्रभावित स्वच्छ पर्यावरण के बिना जीवन का अधिकार पूरी तरह से साकार नहीं होता है.

राज्यपाल द्वारा किसी विधेयक को अपनी सहमति न दिए जाने से वह ख़त्म नहीं हो जाता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि विधायिका द्वारा प्रस्तावित क़ानून केवल इसलिए समाप्त नहीं हो जाता, क्योंकि राज्यपाल उस पर सहमति देने से इनकार कर देते हैं. अंतिम निर्णय विधायिका का है, न कि राज्यपाल का. एक बार जब सदन लौटाया गया विधेयक दोबारा पारित करता है तो राज्यपाल के पास सहमति देने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता.

उपराष्ट्रपति को सीजेआई का जवाब- संविधान का मूलभूत ढांचा ध्रुव तारे की तरह मार्गदर्शन करता है

भारत के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जब आगे का रास्ता जटिल होता है तो भारतीय संविधान की मूल संरचना अपने व्याख्याताओं और कार्यान्वयन करने वालों को मार्गदर्शन और निश्चित दिशा दिखाती है. बीते दिनों उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा था कि 1973 में केशवानंद भारती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मूलभूत ढांचे में संसद द्वारा बदलाव न किए जाने की ग़लत परंपरा रखी थी.

अदालत ने समय-पूर्व रिहाई की याचिका से निपटने में देरी पर दंडात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी

शीर्ष अदालत ने एक याचिका का निपटारा करने में अधिकारियों द्वारा देरी किए जाने पर नाराज़गी जताते हुए कहा कि समय-पूर्व रिहाई का आवेदन सितंबर 2019 से लंबित है और फतेहगढ़ केंद्रीय कारागार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा इस साल पांच जनवरी को जारी किए गए हिरासत प्रमाण-पत्र के अनुसार, दोषी बिना किसी छूट के कुल 15 साल और 14 दिन की सज़ा काट चुका है.

यूपी कारागार महानिदेशक बताएं, क़ैदियों की समय-पूर्व रिहाई के लिए क्या क़दम उठाए गए: सुप्रीम कोर्ट

शीर्ष अदालत ने दोषियों की समय-पूर्व रिहाई के संबंध में अदालत के पहले के आदेशों का पालन नहीं करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है. कोर्ट ने पिछले साल राज्य सरकार से 2018 की अपनी नीति में निर्धारित मानदंडों का पालन करने के लिए चार महीने के भीतर 512 क़ैदियों की समय से पहले रिहाई के मुद्दे पर विचार करने के लिए कहा था. 

जस्टिस धनंजय वाई. चंद्रचूड़ ने भारत के 50वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ली

सीजेआई के रूप में जस्टिस धनंजय वाई. चंद्रचूड़ का कार्यकाल 10 नवंबर 2024 तक होगा. उन्होंने जस्टिस उदय उमेश ललित की जगह ली है, जिनका कार्यकाल आठ नवंबर को पूरा हुआ. जस्टिस चंद्रचूड़ देश में सबसे लंबे समय तक सीजेआई रहे जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ के बेटे हैं.

सरकार द्वारा मीडिया वन पर प्रतिबंध के कारण न बताने पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाए

दिसंबर 2021 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मलयालम समाचार चैनल ‘मीडिया वन’ को 'राष्ट्रीय सुरक्षा' का हवाला देते हुए सुरक्षा मंज़ूरी देने से मना कर दिया था और जनवरी में इसके प्रसारण पर रोक लगाने को कहा था. शीर्ष अदालत ने सरकार से बिना विशेष कारण बताए प्रतिबंध लगाने को लेकर सवाल-जवाब किए हैं.

जस्टिस चंद्रचूड़ देश के अगले प्रधान न्यायाधीश नियुक्त, नौ नवंबर को पद की शपथ लेंगे

प्रधान न्यायाधीश के रूप में जस्टिस यूयू ललित का 74 दिन का संक्षिप्त कार्यकाल रहा. वह 65 वर्ष के होने पर इस साल आठ नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे. सीजेआई के पद पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल दो वर्षों का होगा.

क़ानून के किसी भी पहलू पर विचार करते समय अपने भीतर नारीवादी सोच समाहित करें: जस्टिस चंद्रचूड़

नई दिल्ली में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अधिक समावेशी और सुलभ क़ानूनी पेशे की वकालत की और छात्रों से इसे हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करने को कहा.

सीजेआई ने अपने उत्तराधिकारी के तौर पर जस्टिस चंद्रचूड़ के नाम की सिफ़ारिश की

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने थे. वह देश के सबसे लंबे समय तक सीजेआई रहे न्यायाधीश वाईवी चंद्रचूड़ के बेटे हैं. उनका कार्यकाल दो साल का होगा और वह 10 नवंबर 2024 को सेवानिवृत्त होंगे.

हम नहीं चाहते कि सुप्रीम कोर्ट ‘तारीख़ पे तारीख़’ वाली अदालत बने: जस्टिस चंद्रचूड़

वकीलों के बार-बार स्थगन के अनुरोध पर नाराज़गी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायाधीश मामले की फाइल ध्यान से पढ़कर अगले दिन की सुनवाई के लिए आधी रात तक तैयारी करते रहते हैं, वहीं वकील आते हैं और स्थगन की मांग करते हैं.

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