सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के कई पूर्व और मौजूदा जजों पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के लिए एक महीने पहले मद्रास हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस कर्णन के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया था. आरोप है कि उन्होंने महिलाओं के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक टिप्पणी की और न्यायिक अधिकारियों और जजों की पत्नियों को धमकाया है.
मद्रास हाईकोर्ट के एक वकील की शिकायत के बाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकीलों ने सीजेआई एसए बोबडे को पत्र लिखते हुए आरोप लगाया गया कि जस्टिस कर्णन ने कथित तौर पर महिलाओं के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक टिप्पणी की है और न्यायिक अधिकारियों व जजों की पत्नियों को धमकाया है.
देश में अपने तरह के पहले मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व न्यायाधीश को अवमानना मामले में छह महीने की सज़ा सुनाई थी.
जस्टिस कर्णन ने ज़मानत और सज़ा संबंधी याचिका पर जल्द सुनवाई के लिए मौखिक आवेदन किया था, जिसे कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया.
जस्टिस सीएस कर्णन ने ख़ुद को अवमानना का दोषी ठहराने और छह माह की सज़ा देने संबंधी आदेश वापस लेने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है.
कोलकाता हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सीएस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि उन्हें न्यायालय की अवमानना का दोषी ठहराने वाला आदेश वापस लिया जाये.
देश में अपनी तरह का यह पहला मामला है कि जब अवमानना के आरोप में सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाईकोर्ट के न्यायाधीश को जेल भेजा जा रहा है.
शीर्ष अदालत ने देश की सभी अदालतों, ट्रिब्यूनलों और आयोगों को निर्देश दिया कि वह आठ फरवरी के बाद न्यायमूर्ति कर्णन द्वारा दिए गए आदेशों पर विचार न करें.
न्यायमूर्ति कर्णन ने दावा किया है कि सात न्यायाधीशों की पीठ ने बेवजह और जानबूझकर एवं दुर्भावनापूर्ण इरादे से उनका अपमान किया.