सुप्रीम कोर्ट की जेल सुधार समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि महिला क़ैदियों को केवल 10 राज्यों और 1 केंद्रशासित प्रदेश में किसी भी प्रकार के दुर्व्यवहार या उत्पीड़न के लिए जेल कर्मचारियों के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज करने की अनुमति है. देश की 40 प्रतिशत से भी कम जेलें महिला क़ैदियों के लिए सैनिटरी नैपकिन मुहैया कराती हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते दिनों विपक्ष को निशाना बनाते हुए कहा कि ‘जब कोर्ट कोई फैसला सुनाता है तो कोर्ट पर सवाल उठाया जाता है... (क्योंकि) कुछ दलों ने मिलकर भ्रष्टाचारी बचाओ अभियान छेड़ा हुआ है.’ हालांकि, यह कहते हुए वे भूल गए कि लोकतंत्र की कोई भी अवधारणा ‘कोर्ट पर सवालों’ की मनाही नहीं करती.
दिल्ली उच्च न्यायालय के ‘एस’ ब्लॉक भवन के उद्घाटन के दौरान प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी से परे भी भारत बसता है और ज़िला स्तरीय न्यायपालिका पर ध्यान देने की ज़रूरत है.
ओडिशा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एस. मुरलीधर ने कहा कि न्यायिक प्रणाली अमीरों और ग़रीबों के लिए अलग-अलग तरीके से काम करती है. जिन लोगों के पास क़ानूनी सहायता सेवाओं को चुनने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, उन्हें वह प्रतिनिधित्व नहीं मिलता, जिसके वे हक़दार हैं.
लोकसभा में केंद्र सरकार से सवाल किया गया था कि क्या सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह क़ानून को औपनिवेशिक क़रार दिया है और इसकी वैधता पर सरकार से जवाब मांगा है. इसके जवाब में केंद्रीय विधि मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के किसी फैसले या आदेश में ऐसी टिप्पणी नहीं है. हालांकि बीते जुलाई महीने में सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह क़ानून पर चिंता जताते हुए सरकार से पूछा था कि आज़ादी के 75 साल बाद इसे बनाए रखना
डिजिटल युग में प्रेस की आज़ादी पर बोलते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके सीकरी ने कहा कि आज मामले की सुनवाई शुरू होने से पहले ही लोग चर्चा शुरू कर देते हैं कि क्या फ़ैसला होना चाहिए, इसका प्रभाव जजों पर पड़ता है.