बाल मज़दूरी का ख़ात्मा दूर की कौड़ी, पहले देश ‘बच्चे’ की एक समान परिभाषा तय करे: संसदीय समिति

संसद की एक स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत को 2025 तक सभी प्रकार के बाल श्रम को समाप्त करने का लक्ष्य पाने के लिए लंबा रास्ता तय करना है. समिति ने विभिन्न क़ानूनों में दर्ज 'बच्चों' की अलग-अलग परिभाषाओं का हवाला देते हुए कहा है कि पहली ज़रूरत एक समान परिभाषा तैयार करने की है.

किशोर न्याय अधिनियम में संशोधन से मिलेगा अपराधियों को संरक्षण: चार राज्यों के बाल अधिकार निकाय

दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और चंडीगढ़ के बाल अधिकार संरक्षण आयोगों ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से जेजे एक्ट में हुए संशोधन को अधिसूचित न करने का आग्रह किया है. संशोधन में बाल शोषण संबंधी मामलों में कुछ अपराधों को ग़ैर संज्ञेय के रूप में वर्गीकृत किया गया है.

‘ग़ैरक़ानूनी’ फतवा: एनसीपीसीआर ने यूपी सरकार से दारुल उलूम देवबंद पोर्टल की जांच करने को कहा

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार से कथित रूप से ‘ग़ैरक़ानूनी और भ्रमित करने वाले’ फतवों को लेकर यह भी कहा कि जब तक इस तरह की सामग्री हटा नहीं ली जाती है, तब तक इस तक पहुंच को प्रतिबंधित कर दिया जाए. आयोग ने क़ानून के कथित उल्लंघन करने के लिए भी संस्थान के ख़िलाफ़ आवश्यक कार्रवाई करने के लिए कहा है.

12 साल से छोटी बच्चियों से बलात्कार पर फांसी तक की सज़ा दिलाने वाला विधेयक मंजूर

12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों के साथ बलात्कार के लिए दंड को सात वर्ष के न्यूनतम कारावास से बढ़ाकर 10 वर्ष करने का प्रावधान किया गया है. 16 वर्ष से कम की लड़की से बलात्कार में सज़ा 20 वर्ष से कम नहीं होगी और इसे बढ़ाकर आजीवन कारावास किया जा सकेगा.

जघन्य अपराधों के हर मामले में किशोर मुजरिमों को सज़ा-ए-मौत उचित नहीं: जस्टिस लोकुर

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस मदन बी. लोकुर ने बच्चों और किशोरों से जुड़े मामलों की सुनवाई करने वाली विशेष अदालतों को संवेदनशील बनाने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए कहा हम इस देश में यूं बर्बर नहीं हो सकते.