बजरंग दल को कृष्ण और गोपियों या राधा की रति-क्रीड़ा या किसी अन्य देवी-देवता के शृंगारिक प्रसंगों के चित्रण से परेशानी है तो वे भारत के उस महान साहित्य का क्या करेंगे जो ऐसे संदर्भों से भरा पड़ा है? वे कालिदास के ‘कुमारसंभवम्’ का क्या करेंगे जिसमें शिव-पार्वती की रति-क्रीड़ा विस्तार से वर्णित है. संस्कृत काव्यों के उन मंगलाचरणों का क्या करेंगे जिनमें देवी-देवताओं के शारीरिक प्रसंगों का उद्दाम व सूक्ष्म वर्णन है?
मामला अहमदाबाद के लैटीट्यूड गिफ्ट एंड बुक स्टोर का है, जहां बजरंग दल के कुछ कार्यकर्ताओं ने 28 अगस्त को हिंदू देवी-देवताओं के अपमानजनक चित्रण का आरोप लगाते हुए कामसूत्र किताब की प्रतियां जलाईं. कार्यकर्ताओं ने किताब की बिक्री जारी रखने पर अगली बार पूरी दुकान जलाने की चेतावनी दी है.
हिंदुत्ववादी संगठन का कहना है कि इन किताबों से विदेशी पर्यटकों की नज़रों में भारत की संस्कृति और परंपरा की ग़लत छवि बन रही है.