ग्राउंड रिपोर्ट: हिंदुत्ववादी पोंगापंथी, दूरदर्शिताविहीन शासन और योगी सरकार की टैनरी कामगारों के प्रति बेरुख़ी ने कानपुर के चमड़ा उद्योग को अब तक के सबसे बड़े संकट में धकेल दिया है.
विशेष रिपोर्ट: कुंभ के लिए बंद किए गए कानपुर के चमड़ा कारख़ाने इसके ख़त्म होने के तकरीबन डेढ़ महीने बाद भी शुरू नहीं हो सके हैं. आरोप लग रहे हैं कि इन्हें निशाना बनाए जाने की वजह ज़्यादातर कारख़ाना मालिकों का मुस्लिम होना है.
कानपुर के 402 चमड़ा कारखानों को चार महीने पहले मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से बंद करने का मौखिक आदेश मिला था. हालांकि, कुंभ बीतने के बाद अभी तक इन्हें चालू करने का आदेश नहीं मिला है.