नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने उत्तर प्रदेश सरकार को यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया है कि काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या की गणना उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1976 के प्रावधानों के अनुसार की गई है या नहीं.
90 के दशक से ही राजनीति द्वारा धर्म के संगठित और सुनियोजित उपयोग की जो प्रक्रिया आरंभ हुई 2014 के बाद उसमें और तेज़ी आई. पिछले कुछ वर्षों में तो छोटे स्थानीय धार्मिक मेलों में राष्ट्रवाद की घुसपैठ शुरू हुई है.
घटना रविवार रात करीब 12.30 बजे हुई जब कांवड़िए जहानाबाद के मखदुमपुर इलाके में मंदिर में पूजा करने के लिए बराबर पहाड़ियों पर चढ़ रहे थे. अधिकारियों ने बताया कि भगदड़ में सात लोगों की मौत हो गई, जिनमें से अधिकतर कांवड़िए थे.
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) उत्तर प्रदेश की प्रस्तावित कांवर मार्ग सड़क परियोजना की जांच कर रहा है. यह मार्ग गाजियाबाद, मेरठ और मुज़फ़्फ़रनगर से होकर गुजरेगा. इसके लिए 222.98 हेक्टेयर संरक्षित वन भूमि के डायवर्जन की आवश्यकता होगी और तकरीबन 1,12,722 पेड़ों को काटना होगा.
हरिद्वार शहर के ज्वालापुर में कांवड़ यात्रा मार्ग में स्थित दो मस्जिदों और एक मज़ार को बड़ी-बड़ी चादरों से ढक दिया गया था. कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि शांति बनाए रखने के लिए ऐसा किया गया. वहीं, प्रशासन ने दावा किया कि उन्होंने ऐसे परदे लगाने का कोई आदेश जारी नहीं किया.
कांवड़ यात्रा मार्ग पर भोजनालयों को अपने मालिकों और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने के आदेश का समर्थन करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने अदालत से कहा कि कांवड़िए सख़्त शाकाहारी, सात्विक आहार का पालन करते हैं. प्याज, लहसुन और सभी अन्य तामसिक खाद्य पदार्थों से परहेज करते हैं. सात्विक भोजन में भोजन तैयार करने का तरीका भी शामिल होता है.
एनडीए सरकार में भाजपा के सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी ने कांवड़ यात्रा मार्गों पर दुकानदारों के नाम लिखने के आदेश को अव्यवहारिक बताया है. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर अंतरिम रोक लगाई है.
हरिद्वार की ओर जाने वाले सहारनपुर, मुज़फ़्फ़रनगर और बिजनौर मार्ग पर हज़ारों की संख्या में ढाबे हैं. जिन ढाबों के मालिक मुसलमान हैं वहां तमाम कर्मचारी हिंदू हैं और जिन ढाबों के मालिक हिंदू हैं वहां तमाम कर्मचारी मुस्लिम हैं. इस तरह लाखों लोग इस कारोबार से जुड़े हैं. आज ये सभी ढाबा संचालक तनाव में आ गए हैं.
भारतीय जनता पार्टी शासित उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में पुलिस ने कांवड़ यात्रा मार्ग के खाद्य पदार्थ विक्रेताओं को दुकानों पर अपने नाम प्रदर्शित करने का निर्देश दिया है. भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सहयोगी दलों ने अपनी आपत्ति जताते हुए इसे 'भेदभावपूर्ण' बताया है.
पुलिस कहती है कि कुछ लोगों ने जानबूझकर दुकानों के ऐसे नाम रखे जिनसे कांवड़ियों को भ्रम हो गया. क्या पुलिस को ऐसा कोई मामला मिला जिसमें कांवड़ियों को मुसलमानों ने मोमो में बंदगोभी की जगह कीमा खिला दिया? क्या कांवड़िए शाकाहार मांग रहे थे और उन्हें मांस की कोई वस्तु बेच दी गई?
उत्तराखंड पुलिस ने हरिद्वार में कांवड़ यात्रा के दौरान सड़क किनारे ठेलों सहित खाने-पीने की दुकानों को अपने मालिकों का नाम प्रदर्शित करने के लिए कहा है. इससे पहले, इस तरह के आदेश उत्तर प्रदेश पुलिस भी जारी कर चुकी है.
मुज़फ़्फ़रनगर के पुलिस अधीक्षक ने कहा कि इस फ़ैसले के पीछे का कारण यह सुनिश्चित करना है कि कांवड़ियों के बीच किसी भी प्रकार का कोई भ्रम न हो. गौरतलब है कि बीते दिनों मुज़फ़्फ़रनगर के भाजपा विधायक ने कहा था कि मुसलमानों को कांवड़ यात्रा में अपनी दुकानों का नाम हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर नहीं रखना चाहिए.
क्या वाकई सड़कों पर सभी प्रकार के धार्मिक आयोजनों पर रोक लगा सकते हैं? तब तो बीस मिनट की नमाज़ से ज़्यादा हिंदुओं के सैकड़ों धार्मिक आयोजन प्रभावित होने लग जाएंगे, जो कई दिनों तक चलते हैं. बैन करने की हूक सड़कों के प्रबंधन बेहतर करने की नहीं है, एक समुदाय के प्रति कुंठा और ज़हर उगलने की ज़िद है.
उत्तराखंड की तीर्थ नगरी हरिद्वार में इस वर्ष देशभर से करीब चार करोड़ श्रद्धालु कांवड़ लेकर पहुंचे थे. हर-की-पैड़ी से 42 किलोमीटर लंबे कांवड़ मार्ग पर गंगा घाट, बाज़ार, पार्किंग स्थल और सड़कें कूड़े से अटी पड़ी थीं. अधिकारियों ने कहा कि शहर को पूरी तरह से साफ करने में कई हफ्ते लग सकते हैं.
उत्तराखंड की महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्या ने एक अधिकारिक आदेश जारी करते हुए अपने विभाग के सभी अधिकारियों, कर्मचारियों, आंगनबाड़ी-मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं को निर्देश दिया है कि वे सभी 26 जुलाई को अपने-अपने घरों के पास स्थित शिव मंदिरों में ‘जलाभिषेक’ करें और फोटो ईमेल व वॉट्सऐप ग्रुप में डालें.