राजधानी बेंगलुरु में व्यवसायों को निशाना बनाने वाले कन्नड़ समर्थक समूहों के नेतृत्व में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद कर्नाटक सरकार ने साइन बोर्ड पर कन्नड़ भाषा का 60 प्रतिशत उपयोग अनिवार्य करने वाले अध्यादेश को मंज़ूरी दी थी. सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार और राजभवन के बीच यह पहली असहमति है, जो खुलकर सामने आई है.
कर्नाटक धार्मिक स्वतंत्रता अधिकार विधेयक, 2021 के अनुसार, इसके तहत दोषी पाए जाने पर उसे तीन साल की क़ैद, जो बढ़ाकर पांच साल तक की जा सकती है और उसे 25,000 रुपये का जुर्माना भी भरना होगा. सामूहिक धर्मांतरण के संबंध में तीन साल की जेल की सज़ा का प्रावधान है, जो दस साल तक बढ़ सकती है और जुर्माना एक लाख रुपये तक हो सकता है.
पूरब और पश्चिम के गाने को कर्नाटक के संदर्भ में समझते हुए दिखता है कि प्रणय निवेदन हेतु मनोज कुमार के हाथों में एक फाइल है, जिसमें विधायकों के दस्तख़त की कल्पना सहज ही की जा सकती है.