इससे पहले राज्य में जब भाजपा सत्ता में थी, तब कर्नाटक राज्य ठेकेदार संघ के अध्यक्ष डी. केम्पन्न ने ही आरोप लगाया था कि कई विभागों में ठेकेदारों को निविदाएं हासिल करने और अपने बिलों का भुगतान करवाने के लिए 40 फीसदी रिश्वत देनी पड़ती है. तब कांग्रेस ने इस मुद्दे को एक प्रमुख चुनावी मुद्दे के रूप में उठाया था.
राजधानी बेंगलुरु में व्यवसायों को निशाना बनाने वाले कन्नड़ समर्थक समूहों के नेतृत्व में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद कर्नाटक सरकार ने साइन बोर्ड पर कन्नड़ भाषा का 60 प्रतिशत उपयोग अनिवार्य करने वाले अध्यादेश को मंज़ूरी दी थी. सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार और राजभवन के बीच यह पहली असहमति है, जो खुलकर सामने आई है.
कर्नाटक कैबिनेट ने कन्नड़ भाषा समग्र विकास (संशोधन) अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, उद्योगों, अस्पतालों और संस्थानों व संगठनों को साइनबोर्ड और नेमप्लेट पर 60 प्रतिशत कन्नड़ भाषा लिखनी होगी. हाल ही में बेंगलुरु में कर्नाटक रक्षणा वेदिके के सदस्यों द्वारा अंग्रेजी में लिखे साइनबोर्ड तोड़ने-फोड़ने के बाद यह निर्णय आया है.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने राज्य में 23 दिसंबर से हिजाब पर प्रतिबंध के आदेश को वापस लेने का निर्देश देते हुए कहा कि भाजपा लोगों और समाज को कपड़े, वेशभूषा और जाति के आधार पर विभाजित करने का काम कर रही है. हिजाब पर बैन बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली पिछली भाजपा सरकार ने लगाया था.
वीडियो: बीते दिनों समाचार चैनल आज तक के न्यूज़ एंकर सुधीर चौधरी के ख़िलाफ़ कर्नाटक सरकार ने दुर्भावनापूर्ण तरीके से ग़लत सूचना देने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई है. सुधीर चौधरी ने चैनल के अपने शो ‘ब्लैक एंड ह्वाइट’ में दावा किया था कि कर्नाटक सरकार की स्वावलंबी सारथी योजना का लाभ सिर्फ़ मुस्लिमों को मिलेगा. इस बारे में और जानकारी दे रही हैं द साउथ फर्स्ट की एक्जीक्यूटिव एडिटर अनुषा रवि सूद.
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बीते साल कर्नाटक कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए एक पत्र में बसवराज बोम्मई की अगुवाई वाली पिछली भाजपा सरकार पर कामों के लिए '40 फीसदी कमीशन' लेने का आरोप लगाया था. अब इन दावों की जांच के लिए सिद्धारमैया सरकार ने आयोग बनाने की अधिसूचना जारी की है.
कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि कर्नाटक सरकार द्वारा राज्य में शुरू की गई गृह लक्ष्मी योजना ‘भाजपा निर्मित महंगाई पर सबसे बड़ा हमला’ है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को कल्याणकारी योजनाओं को ‘रेवड़ी’ कहकर अपमानित नहीं करना चाहिए. उन्हें विशेषकर महिलाओं से माफ़ी मांगनी चाहिए और एक समयसीमा बतानी चाहिए कि वह महंगाई पर कब लगाम लगाएंगे.
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने पिछली भाजपा शासन में किए संशोधनों को ‘पाठ्यक्रम के भगवाकरण’ को सुधारने का प्रयास बताते हुए स्कूलों में कक्षा 6 से 10 तक कन्नड और सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों में संशोधन को मंज़ूरी दी है. सरकार धर्मांतरण विरोधी कानून में पारित संशोधनों को भी रद्द करने की योजना पर काम कर रही है.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने केंद्र सरकार द्वारा भारतीय खाद्य निगम को सीधे राज्य को चावल बेचने की अनुमति पर अचानक रोक लगाने के फैसले को ‘कन्नड’ और ‘ग़रीब’ विरोधी क़रार दिया है. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी और भाजपा लोगों को 10 किलो मुफ्त चावल देने के ख़िलाफ़ क्यों हैं? वे ग़रीबों से भोजन क्यों छीनना चाहते हैं?
विधानसभा चुनावों से ठीक पहले कर्नाटक की भाजपा सरकार ने 4 फ़ीसदी मुस्लिम आरक्षण को ख़त्म कर दिया था, जिसके अदालत में चुनौती दी गई. इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस संबंध में टिप्पणी की थी. शीर्ष अदालत ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि जब मामला विचारधीन हो तो राजनीतिक बयानबाज़ी नहीं होनी चाहिए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आईआईटी-धारवाड़ के नए स्थायी परिसर का उद्घाटन किया गया था. एक आरटीआई आवेदन के जवाब में सामने आया है कि इस समारोह के लिए लोगों को कार्यक्रम स्थल तक लाने-ले जाने के लिए केएसआरटीसी की बसों पर 2.83 करोड़ रुपये और लंच के लिए 86 लाख रुपये ख़र्च किए गए. आयोजन की ब्रांडिंग पर अलग से 61 लाख रुपये ख़र्च हुए.
कर्नाटक हाईकोर्ट शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत राज्य सरकार द्वारा सरकारी प्राथमिक विद्यालय के विद्यार्थियों को यूनिफॉर्म और जूते-मोज़े न देने की शिकायत पर सुनवाई कर रही थी. अदालत ने कहा कि इस तरह की चूक होना सरकार के लिए शर्म की बात है.
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के पास नंदी पहाड़ियों में सद्गुरु के ईशा फाउंडेशन द्वारा 15 जनवरी को आदियोगी शिव की प्रतिमा का अनावरण किया जाना था. याचिका में आरोप लगाया गया है कि पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील इलाके में एक वाणिज्यिक उद्यम स्थापित किया जा रहा है और सरकार ने इस उद्देश्य के लिए अवैध रूप से भूमि आवंटित की है.
मैसूर के शासक टीपू सुल्तान के समय में सलाम आरती की रस्म शुरू की गई थी. टीपू ने मैसूर राज्य के कल्याण के लिए इसकी शुरुआत की थी. अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ लड़ाई में उनकी मृत्यु के बाद भी राज्य भर के विभिन्न हिंदू मंदिरों में यह रस्म जारी है.