घटना चिक्कमगलुरु ज़िले की है जहां एक कॉफी बागान के मालिक पर दलित समुदाय से आने वाले सोलह श्रमिकों से मारपीट और उन्हें बंधक बनाकर रखने का आरोप है. एक कामगार महिला का कहना है कि मारपीट के चलते उनका गर्भपात हो गया. पुलिस के अनुसार, केस दर्ज कर लिया गया है और आरोपी फ़रार हैं.
मंगलुरू में रहने वाले एक्टिविस्ट सुनील बाजिलकेरी ने सोशल मीडिया पर एक तस्वीर पोस्ट की थी, जिसमें पारंपरिक परिधान पहने एक गर्भवती महिला के सिर की जगह चीते का सिर लगा था. इस तस्वीर को गर्भवती महिलाओं और भारतीय संस्कृति का अपमान क़रार देते हुए एक महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी.
कर्नाटक हाईकोर्ट एक छात्र की याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिन्हें चेक बाउंस के मामले में पुलिस ने ग़ैर-ज़मानती वॉरंट जारी होने पर हथकड़ी लगाकर गिरफ़्तार किया था. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को दो लाख रुपये मुआवज़ा देने का आदेश देते हुए कहा कि निचली अदालत के समक्ष पेश किए जाने वाले किसी विचाराधीन क़ैदी को हथकड़ी लगाने के लिए पुलिस को कोर्ट की अनुमति लेनी होगी.
बजरंग दल के कार्यकर्ता हर्ष की 20 फरवरी की रात को डोड्डापेट थाना क्षेत्र में हत्या कर दी गई थी. उनके अंतिम संस्कार के दौरान हिंसा भड़क उठी थी और पत्थरबाज़ी एवं आगजनी की घटना हुई थी. पुलिस ने मामले के दस संदिग्धों पर यूएपीए लगाते हुए कहा है कि हत्या के पीछे किसी बड़ी साज़िश का संदेह है.
कर्नाटक के शिवमोगा में बजरंग दल के 28 वर्षीय एक कार्यकर्ता की हत्या के बाद अंतिम संस्कार के दौरान हिंसा भड़क उठी और पत्थरबाजी एवं आगजनी की घटना हुई, जिसमें एक फोटो पत्रकार और महिला पुलिसकर्मी समेत तीन लोग घायल हो गए. राज्य के भाजपा नेताओं ने हत्या की निंदा की है और इसमें कुछ इस्लामी संगठनों की भूमिका का आरोप लगाते हुए मामले की एनआईए से कराए जाने की मांग की है.
मामला मंगलुरु का है, जहां साल 2012 में पत्रकारिता के छात्र विट्टला मेलेकुडिया और उनके पिता को गिरफ़्तार करते हुए उनके पास मिली किताबों आदि के आधार पर उन पर यूएपीए के तहत राजद्रोह और आतंकवाद के आरोप लगाए गए थे. एक ज़िला अदालत ने उन्हें बरी करते हुए कहा कि पुलिस कोई भी सबूत देने में विफल रही. भगत सिंह की किताबें या अख़बार पढ़ना क़ानून के तहत वर्जित नहीं हैं.
कर्नाटक पुलिस ने हाईकोर्ट द्वारा संगठित अपराध की धाराएं लगाने के फ़ैसले को ख़ारिज करने के ख़िलाफ़ अपील करने की गुहार लगाई थी, लेकिन इस मामले में राज्य की भाजपा सरकार ने ढीला रवैया अपनाए रखा. बाद में गौरी लंकेश की बहन कविता ने इसके ख़िलाफ़ अपील दायर की थी.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने मोहन नायक नामक आरोपी के विरुद्ध कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम के तहत जांच की मंज़ूरी देने संबंधी 14 अगस्त 2018 का पुलिस आदेश को निरस्त कर दिया था. इसे राज्य सरकार और गौरी लंकेश की बहन कविता लंकेश ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
यह घटना आठ अक्टूबर को बेलागावी शहर के बाहर हुई थी, लेकिन इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद सामने आई. पीड़ित मुस्लिम परिवार ने शिकायत में कहा है कि क्षेत्र में एक मंदिर के उद्धाटन के चलते उन्हें दुकान न खोलने की धमकी देते हुए तोड़फोड़ की गई. आरोप है कि पुलिस ने उनकी शिकायत दर्ज नहीं की.
बेंगलुरु के सत्र न्यायालय ने कहा कि चूंकि आरोपी अलग-अलग जेलों में बंद हैं और उन्हें सुनवाई के दौरान एक साथ पेश नहीं किया जा सका है, जिसके चलते बार-बार आरोप तय करने की कार्यवाही टाली जाती रही है, इसलिए उन्हें एक जगह ट्रांसफर किया जाए.
वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश हत्या के मामले में उनकी बहन कविता लंकेश ने हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें आरोपी मोहन नायक के ख़िलाफ़ जांच के लिए कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम के प्रावधान का इस्तेमाल करने के पुलिस प्राधिकार के 14 अगस्त, 2018 के आदेश को रद्द कर दिया गया था.
वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश हत्या के मामले में उनकी बहन कविता लंकेश ने आरोपियों में से एक मोहन नायक के ख़िलाफ़ कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम के तहत लगाए गए आरोपों को ख़ारिज करने के कर्नाटक हाईकोर्ट के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
कर्नाटक के कोगडु ज़िले के विराजपेट क़स्बे का मामला. आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने बीते आठ जून को लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने को लेकर मानसिक रूप से विक्षिप्त रॉय डी’सूजा को हिरासत में लिया था. इस दौरान उनके साथ बुरी तरह से मारपीट की गई. इलाज के दौरान 12 जून को उनकी मौत हो गई. मृतक के भाई की शिकायत पर पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है.
कर्नाटक पुलिस ने कोबरा कमांडो को लॉकडाउन उल्लंघन के आरोप में गिरफ्तार किया था. प्रदेश के गृहमंत्री बसवराज बोम्माई ने पुलिस प्रमुख को घटना की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं.
कर्नाटक के बीदर में एक स्कूल में हुए नाटक को लेकर दर्ज हुई राजद्रोह की एफआईआर रद्द कराने के लिए एक मानवाधिकार कार्यकर्ता द्वारा शीर्ष अदालत में दायर याचिका में कहा गया था कि ऐसे मामलों में एफआईआर दर्ज करने से पहले शिकायत की जांच के लिए एक समिति बनाई जानी चाहिए.