वीडियो: मेधा पाटकर नर्मदा बचाओ आंदोलन का प्रमुख चेहरा हैं. द वायर संवाद में उनके चालीस साल के संघर्ष, विस्थापित लोगों के जीवन, मुआवज़े के झूठ और गुजरात की कुछ कंपनियों को सरदार सरोवर परियोजना से अधिक लाभ मिलने के बारे में उनसे आशुतोष भारद्वाज की बातचीत.
जहां देश एक ओर 'गुजरात मॉडल' के भेष में पेश किए गए छलावे को लेकर आज सच जान रहा है, वहीं गुजरात के केवड़िया गांव के आदिवासियों ने काफ़ी पहले ही इसके खोखलेपन को समझकर इसके ख़िलाफ़ सफलतापूर्वक एक प्रतिरोध आंदोलन खड़ा किया था.
केवड़िया के पास नर्मदा नदी के पास बनी 182 मीटर ऊंची इस प्रतिमा के आस-पास रहने वाले ग्रामीणों का आरोप है कि राज्य सरकार ने उनके पूर्वजों से ज़मीन बांध बनाने के लिए ली थी, लेकिन अब इसका व्यावसायिक इस्तेमाल किया जा रहा है. इसलिए या तो उन्हें उचित मुआवज़ा दिया जाए या फिर उनकी ज़मीन लौटाई जाए.
गुजरात के आदिवासी कल्याण मंत्री गणपत वसावा ने आरोपों को ख़ारिज करते हुए कहा कि कुछ नेता और एनजीओ आदिवासियों का इस्तेमाल करते हुए अपनी राजनीति कर रहे हैं और नर्मदा परियोजना को बदनाम कर रहे हैं.