आरोप है कि वडोदरा के मयंक तिवारी नाम के व्यक्ति ने प्रधानमंत्री कार्यालय का निदेशक (सरकारी सलाहकार) होने का दावा किया. वह लोगों को धमकाकर या 'विवादों को निपटाने' के लिए पीएमओ के नाम का इस्तेमाल करके करोड़ों रुपये इकट्ठा कर रहा था.
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बीते कुछ महीनों में ऐसे छोटे-बड़े क़रीब दर्जनभर ठग सामने आए हैं जो पीएमओ या गृह मंत्रालय के नाम पर चूना लगा रहे हैं. यह कुछ नेताओं के इर्द-गिर्द केंद्रित कामकाज की अपारदर्शी शैली का नतीजा है, जिसने सत्ता के धंधेबाजों की तरह-तरह की प्रजातियों के पनपने के लिए मुफ़ीद माहौल तैयार किया है.
उत्तर प्रदेश के मेरठ निवासी रॉबिन उपाध्याय को पेशे से सिविल इंजीनियर बताया जा रहा है. वर्तमान में बेरोज़गार उपाध्याय की नज़र गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना के उपाध्यक्ष-सह-परियोजना समन्वयक के पद पर थी, जिसके लिए उन्होंने ख़ुद को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के ऑफिसर-ऑन-स्पेशल-ड्यूटी के रूप में प्रस्तुत किया था.
गुजरात के वडोदरा से गिरफ़्तार इस शख़्स की पहचान मयंक तिवारी के रूप में हुई है. उसने दो बच्चों का दाख़िला कराने के बदले एक निजी स्कूल पीएमओ से कई अनुबंध दिलाने का झांसा दिया था. बीते मार्च में गुजरात के ही किरण पटेल को गिरफ़्तार किया गया था, जो ख़ुद को पीएमओ अधिकारी बताकर कश्मीर की कई यात्राएं कर चुका था.