मणिपुर हिंसा: 10 विधायकों ने अलग प्रशासन की मांग दोहरायी, प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी की निंदा

चिन-कुकी-मिज़ो-ज़ोमी-हमार समुदायों से आने वाले मणिपुर के 10 विधायकों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को दिए गए एक ज्ञापन में कहा है कि हिंसा के बाद उनके लोगों ने भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार में ‘विश्वास खो दिया है’. इन विधायकों में भाजपा के सात विधायक शामिल है. कांग्रेस ने हिंसा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं.

मणिपुर: भाजपा सहित 10 कुकी-ज़ोमी विधायकों ने केंद्र सरकार से ‘अलग प्रशासन’ बनाने का आग्रह किया

अलग प्रशासन बनाने की मांग करने वाले 10 विधायकों में से 7 विधायक सत्तारूढ़ भाजपा के हैं, दो पार्टी के सहयोगी कुकी पीपुल्स अलायंस (केपीए) और एक निर्दलीय विधायक हैं. इस विधायकों ने एक बयान में ‘मणिपुर में 3 मई को शुरू हुई हिंसा’ को स्पष्ट रूप से ‘मौजूदा सरकार द्वारा समर्थित’ कहा है.

मणिपुर में भड़की हिंसा की वजह क्या है?

वीडियो: मणिपुर में मेईतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने के विरोध में बीते 3 मई को निकली रैलियों के बाद हिंसा भड़क उठी, जिसमें क़रीब 54 लोगों की मौत हो गई. कई घरों में आग लगा दी गई और सैकड़ों लोग अपना घर छोड़कर भागने को मजबूर हो गए. इस घटनाक्रम के बारे में बता रही हैं द वायर की नेशनल अफेयर्स एडिटर संगीता बरुआ पिशारोती.

सात वजहें, जो बताती हैं कि मणिपुर हिंसा अचानक हुई घटना नहीं है

मणिपुर में हुई हालिया हिंसा के बीच जो बात स्पष्ट नज़र आती है, वो यह है कि समुदायों के बीच संघर्षों के इतिहास से भरे इस राज्य को संभालने में अगर मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने ज़रा भी सावधानी बरती होती तो ताज़ा संघर्ष के कई कारणों से बचा जा सकता था.

मणिपुर: जहां आठ लाशें विधानसभा चुनाव में मुद्दा हैं

मणिपुर के चूराचांदपुर के जिला अस्पताल के मुर्दाघर में पिछले करीब 550 दिनों से आठ लाशें दफनाए जाने का इंतजार कर रही हैं. इस बार के विधानसभा चुनाव में यह प्रमुख मुद्दा है.