पुस्तक समीक्षा: आज की मूलतः पुरुष केंद्रित पत्रकारिता के बीच पत्रकार नेहा दीक्षित अपनी किताब 'द मैनी लाइव्स ऑफ सईदा एक्स' में एक मुस्लिम महिला और असंगठित मज़दूर की कहानी कहने का जोखिम उठाती हैं.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: अरुणा रॉय अथक स्वप्नदर्शी कर्मशील हैं. उन्होंने मौलिक नवाचार किया है पर वे जड़ों पर भी जमी रही हैं. उनके संस्मरण में ‘मैं’ बहुत सहजता से ‘हम’ में बदलता रहता है.
इस देश के गांवों में बसने वाले लोगों को साथ लेकर बदलाव की मुहिम शुरू करना और एक बदलाव को सामने ला देना एक बड़ी बात है. अरुणा रॉय ने यह कर दिखाया है.
हरियाणा के मानेसर में अमेज़ॉन वेयरहाउस में काम करने वाली नेहा बताती हैं कि अमानवीय स्थितियों के बावजूद कर्मचारियों से अपेक्षा की जाती है कि वो तेज़ रफ़्तार से काम करते रहें. कंपनी कर्मचारियों पर कड़ी नज़र रखती है और अगर वे हर घंटे के टारगेट को पूरा नहीं कर पाते, तो सज़ा भुगतनी पड़ती है.
2023 अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार हार्वर्ड प्रोफेसर क्लॉडिया गोल्डिन को महिलाओं की श्रम बाज़ार में स्थिति को लेकर किए उनके शोध को लेकर मिला है. उनकी रिसर्च दर्शाती है कि परिवार बनाने और नौकरी करने में कोई द्वंद्व नहीं है, बशर्ते समाज उसके लिए तैयार हो.
वीडियो: बीते रविवार को दिल्ली में 'एक वोट पर एक रोज़गार आंदोलन' की तरफ़ से रोज़गार क़ानून, न्यूनतम मज़दूरी एवं पेंशन को लेकर जन संसद का आयोजन किया गया था, जहां आए कर्मचारियों, श्रमिकों और कार्यकर्ताओं ने अपनी विभिन्न मांगें रखीं.
इप्टा ने आज़ादी के 75वें वर्ष के अवसर पर 'ढाई आखर प्रेम के' शीर्षक से हुई सांस्कृतिक यात्रा का आयोजन किया था. इसके समापन समारोह में लेखक, अभिनेता व निर्देशक सुधन्वा देशपांडे द्वारा 'नाटक में प्रतिरोध की धारा' विषय पर दिया गया संबोधन.
वीडियो: भारत के संविधान के अनुच्छेद 24 के अनुसार, 14 साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी प्रकार के ख़तरे भरे कामों में रोज़गार पर नहीं लगाया जा सकता. इस अनुच्छेद में ख़तरे वाले कामों को कैसे परिभाषित किया गया है और सुप्रीम कोर्ट ने बाल श्रम पर क्या कहा है, समझा रही हैं अधिवक्ता अवनि बंसल.
वीडियो: क्या आप जानते हैं कि अनुच्छेद 23 के अनुसार किसी व्यक्ति को काम करने के लिए बाध्य करना या न्यूनतम आय का भुगतान नहीं करना या मानव की तस्करी करना असंवैधानिक है. सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न फैसलों की मदद से अधिवक्ता अवनि बंसल मानव तस्करी और जबरन श्रम पर संविधान क्या कहता है, इसकी जानकारी दे रही हैं.
सितंबर 2020 में भारत सरकार द्वारा मज़दूरों के हित का दावा करते हुए लाए गए सामाजिक सुरक्षा क़ानून में असंगठित मज़दूरों के लिए बहुत कुछ नहीं है, जबकि देश के कार्यबल में उनकी 91 प्रतिशत भागीदारी है.
कानपुर जैसे शहर में एक युवा कम्युनिस्ट और ट्रेड यूनियन के सदस्य के बतौर काम करने के दौरान देखे गए पुलिस और प्रशासन के पक्षपातपूर्ण रवैये ने मेरे लिए वर्गीय दृष्टिकोण और वर्गीय सत्ता की सच्चाई को और प्रमाणित कर दिया.
बयान में कहा गया है कि कई सरकारी एजेंसियों और राज्य सरकारों ने किसान, मज़दूर, शिक्षाविदों, पत्रकारों, कॉमेडियन और आम नागरिकों के अलावा युवा कार्यकर्ताओं को डराया-धमकाया और सिर्फ इसलिए मामला दर्ज किया क्योंकि ये लोग सरकार से असहमति जता रहे थे और लगातार उससे सवाल पूछ रहे थे.
नवदीप कौर मजदूर अधिकार संगठन की सदस्य हैं, जिन्हें 12 जनवरी को सोनीपत में एक औद्योगिक इकाई पर हुए प्रदर्शन के दौरान गिरफ़्तार किया गया था. पुलिस ने उन पर हत्या के प्रयास और उगाही के आरोप में तीन मामले दर्ज किए हैं, जिनका कौर के परिजनों ने खंडन किया है.
हरियाणा के सोनीपत की रहने वाली मज़दूर अधिकार कार्यकर्ता नवदीप कौर तक़रीबन एक महीने से हिरासत में हैं. परिवार का आरोप है कि वह बीते नवंबर में सिंघू पर किसानों के आंदोलन में शामिल हुई थीं और उन मज़दूरों के लिए भी लड़ रही थीं, जिन्हें नियमित मज़दूरी नहीं मिलती थी.
ऐसे समय में जब भारतीय अर्थव्यवस्था लगभग तबाह हो चुकी है, तब सुधारों के नाम पर किसानों और कामगारों के बीच उनकी आय को लेकर आशंकाएं और मानसिक परेशानियां पैदा करना सही नहीं है.