चाईबासा कोषागार मामले में पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र को भी दोषी क़रार देते हुए उन्हें भी पांच साल की सज़ा सुनाई गई है.
चारा घोटाले में कई बार जेल जाने वाले लालू जैसे छत्रप का यह तिलिस्म ही है कि एक बड़ी जमात उन्हें ज़मीनी नेता मानने से गुरेज नहीं करती. तभी जेल में उनसे मिलने वालों का तांता लगा हुआ है.
विशेष सीबीआई अदालत ने क़ैद के साथ 10 लाख रुपये का ज़ुर्माना भी लगाया.
चारा घोटाले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को दोषी ठहराए जाने के फैसले के ख़िलाफ़ बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव द्वारा कथित बयानबाज़ी का अदालत ने लिया संज्ञान.
मामले में पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र बरी. राजद प्रमुख लालू यादव सहित 16 लोग दोषी क़रार. तीन जनवरी को विशेष सीबीआई अदालत सुनाएगी सज़ा.
सवाल है कि क्या हमारे नेता नौकरशाही में अपने समर्थ सहयोगियों की मिलीभगत के बग़ैर ही अकूत काला धन जमा करने और तरह-तरह के अपराध करने में कामयाब हो जाते हैं?
राजद प्रमुख ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गिरगिटिया पहलवान बताते हुए कहा, वह गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं.
जदयू ने लालू की 'भाजपा भगाओ देश बचाओ' रैली में शामिल होने को लेकर दी शरद यादव को हिदायत.
मीडिया बोल की आठवीं कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, देशबुंध अख़बार के कार्यकारी संपादक जयशंकर गुप्त और वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी के साथ बिहार में हुए सियासी उलटफेर की मीडिया कवरेज पर चर्चा कर रहे हैं.
नीतीश मुख्यमंत्री पद के तथाकथित ‘बलिदान’ के कुछ ही घंटों के भीतर भाजपा के समर्थन से फिर उसी कुर्सी पर काबिज़ हो गए, जो प्रदेश की जनता द्वारा दिए गए जनादेश से धोखा करने जैसा है.
चारा घोटाले में दोषी पाए गए लालू के साथ गठबंधन बनाते समय नीतीश का भ्रष्टाचार विरोधी छवि का ख्याल कहां चला गया था. 2015 के बाद बिहार में घटी हर छोटी-बड़ी घटना को लेकर लालू-नीतीश की इस सियासी दोस्ती पर सवाल उठे, लेकिन नीतीश ने चुप्पी साध रखी थी.
पटना के अलावा दिल्ली, रांची, पुरी, गुड़गांव समेत लालू के 12 ठिकानों पर छापेमारी की गई. बतौर रेल मंत्री टेंडर में हेराफेरी के आरोप में सीबीआई ने उनके ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया है.
शीर्ष अदालत ने झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को किया रद्द, लालू को करना होगा घोटाले से जुड़े चारों मामलों में सुनवाई का सामना.
आप शंकराचार्यों की बेअसर पड़ चुकी पीठों पर काबिज़ होने के बजाय ज्ञान, विचार और सत्ता की नई पीठों की रचना के लिए क्यों नहीं आवाज़ उठाते, लालू जी!
शराबबंदी नीतीश कुमार के एक-डेढ़ दशकों की राजनीति की बड़ी उपलब्धि नहीं, बल्कि उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के अवसान का सूचक है.