बीते 20 सालों में हिरासत में मौत के 1,888 मामले, 26 पुलिसकर्मियों को दोषी पाया गया: रिपोर्ट

एनसीआरबी और क्राइम इन इंडिया की 2001-2020 की रिपोर्ट्स से तैयार किया गया डेटा बताता है कि कुल 1,888 में से 893 में पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किए गए और 358 के ख़िलाफ़ आरोपपत्र दायर हुए. हालांकि इन सालों में केवल छब्बीस पुलिसकर्मियों को दोषी साबित किया जा सका.

शाहजहांपुर कचहरी में कथित तौर पर वकील ने अन्य अधिवक्ता की गोली मारकर हत्या की

पुलिस ने बताया कि मृतक अधिवक्ता भूपेंद्र सिंह के भाई की तहरीर पर अधिवक्ता सुरेश गुप्ता और दो अन्य के विरुद्ध मुक़दमा दर्ज कर सुरेश को गिरफ़्तार कर लिया गया है. भूपेंद्र सिंह ने आरोपी अधिवक्ता सुरेश गुप्ता पर दो दर्जन मुक़दमे दायर कर रखे थे, जिन्हें लेकर वह परेशान थे. एक दरोगा समेत चार पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है.

यूपी: क्या चुनाव से पहले योगी कैबिनेट का विस्तार जातीय समीकरण साधने की क़वायद है

उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार मंत्रिमंडल विस्तार में पिछड़ी मानी जाने वाली जातियों के नेताओं को जगह देकर उनकी शुभचिंतक होने का डंका पीट रही है. हालांकि जानकारों का सवाल है कि यदि ऐसा ही है तो प्रदेश के यादवों, जाटवों और राजभरों पर उसकी यह कृपा क्यों नहीं बरसी?

यूपी: विधानसभा चुनाव से पहले क्या सोचती है प्रदेश की जनता

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में क़रीब पांच महीने बाकी हैं, लेकिन सियासी सरगर्मियां बढ़ चुकी हैं. मंत्रिमंडल परिवर्तन से लेकर राजनीतिक दलों के गठजोड़ देखने को मिल रहे हैं. पर राज्य की जनता क्या बदलाव चाहती है या वर्तमान व्यवस्था में उसका भरोसा बना हुआ है?

यूपी: क्या योगी आदित्यनाथ का लगातार पिछली सरकारों को कोसना जनता को फुसलाने का प्रयास है

राज्य में साढ़े चार साल का कार्यकाल पूरा कर लेने के बाद दोबारा जनादेश पाने की आकांक्षा में योगी आदित्यनाथ का बात-बात पर पूर्ववर्ती सरकारों पर बरसना सर्वथा अवांछनीय है क्योंकि जनता उनके किए का फल उन्हें पहले ही दे चुकी है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस हिरासत में मौत की सीबीआई जांच का निर्देश दिया

उत्तर प्रदेश के जौनपुर ज़िले में 24 वर्षीय एक व्यक्ति की कथित तौर पर पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी. इस मामले में अजय कुमार यादव ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि पुलिस उनके भाई को 11 फरवरी, 2021 को जबरदस्ती अपने साथ ले गई और उन्हें थाने में रखा था. अगले दिन बताया गया कि उनके भाई की मौत हो गई है.

किसी भी व्यक्ति को देश में कहीं भी रहने-घूमने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता: अदालत

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस वी. रामसुब्रमण्यम की पीठ ने यह टिप्पणी महाराष्ट्र के अमरावती शहर में ज़िला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा एक पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता के ख़िलाफ़ जारी ज़िलाबदर आदेश को रद्द करते हुए की. ज़िलाबदर आदेशों में किसी व्यक्ति की कुछ स्थानों पर आवाजाही पर रोक लगाई जा सकती है.

मध्य प्रदेश: आदिवासी की बेरहमी से पिटाई कर वाहन से बांधकर घसीटा गया, इलाज के दौरान मौत

मध्य प्रदेश के नीमच ज़िले की घटना. पुलिस ने बताया कि इस मामले में पांच आरोपियों को गिरफ़्तार कर लिया गया है. बाइक से पीड़ित आदिवासी की टक्कर हो जाने के बाद कुछ लोगों ने उसे बेरहमी से पीटा था. इस घटना के बाद कांग्रेस नेताओं ने राज्य की भाजपा सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि पूरे प्रदेश में अराजकता का माहौल है.

मैसूर गैंगरेप मामलाः तमिलनाडु से पांच गिरफ़्तार, आरोपियों में से एक के नाबालिग होने की सूचना

बीते 24 अगस्त को मैसूर शहर के बाहरी इलाके में एक एमबीए छात्रा के साथ कथित रूप से लगभग छह लोगों ने बलात्कार किया और उनके पुरुष मित्र पर भी हमला किया था. मामले का एक आरोपी अब भी फ़रार है. पुलिस ने बताया कि हिरासत में लिया गया एक आरोपी 17 साल का है, जिसकी जांच की जानी है. घटना के बाद सुरक्षा के मद्देनज़र मैसूर विश्वविद्यालय ने शाम 6:30 बजे के बाद छात्राओं की आवाजाही पर रोक लगा

पुलिस हिरासत में मौत हमेशा से चिंता का विषय रहा है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1997 में एक व्यक्ति की हिरासत में मौत के मामले में पुलिसकर्मी को ज़मानत देने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि 28 दिसंबर, 1997 को कुछ पुलिसकर्मी उनके घर आए और उनके पिता को अपने साथ ले गए. उन्होंने आरोप लगाया है कि उनके पिता को बेरहमी से पीटा गया, जिसकी वजह से थाने में ही उनकी मृत्यु हो गई.

मैसूर गैंगरेप: गृहमंत्री बोले- पीड़ितों को सुनसान जगह पर नहीं जाना चाहिए था, आलोचना के बाद पलटे

बीते 24 अगस्त को मैसूर शहर के बाहरी इलाके में एक छात्रा के साथ कथित रूप से पांच लोगों ने बलात्कार किया और उनके पुरुष मित्र पर भी हमला किया. इसके बाद गृहमंत्री अर्गा ज्ञानेंद्र ने कहा था कि वह सुनसान जगह है, उन्हें वहां नहीं जाना चाहिए था. मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने गृहमंत्री के बयान से असहमति जताते हुए उन्हें स्पष्टीकरण देने के लिए कहा था.

उत्तर प्रदेश में ‘जब नगीचे चुनाव आवत है, भात मांगौ पुलाव आवत है’ का दौर शुरू हो गया है

ऐसी परंपरा-सी हो गई है कि पांच साल की कार्यावधि के चार साढ़े चार साल सोते हुई गुज़ार देने वाली सरकारें चुनाव वर्ष आते ही अचानक जागती हैं और तमाम ऐलान व वादे करती हुई मतदाताओं को लुभाने में लग जाती हैं. बीते दिनों विधानसभा में योगी आदित्यनाथ द्वारा की गई लोक-लुभावन घोषणाएं इसी की बानगी हैं.

पिछले तीन वर्षों में पुलिस हिरासत में 348 और न्यायिक हिरासत में 5,221 लोगों की मौत: सरकार

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में कहा कि उत्तर प्रदेश में 2018 से 2020 के दौरान 23 लोगों की पुलिस हिरासत में मौत हो गई, जबकि न्यायिक हिरासत में 1,295 लोगों की जान गई. मध्य प्रदेश में इस अवधि के दौरान पुलिस हिरासत 34, जबकि न्यायिक हिरासत में 441 लोगों की मौत के मामले सामने आए हैं.

क़ानून-व्यवस्था का संभावित उल्लंघन हिरासत में रखने का आधार नहीं हो सकता है: सुप्रीम कोर्ट

तेलंगाना के एक निवासी के मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि 'क़ानून और व्यवस्था', 'सार्वजनिक व्यवस्था' और 'राज्य की सुरक्षा' एक दूसरे से अलग होते हैं.

पिछले तीन वर्षों में पुलिस हिरासत में 348 लोगों की मौत हुई: केंद्र सरकार

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में बताया कि बीते तीन वर्षों में पुलिस हिरासत में 1,189 लोगों को यातना झेलनी पड़ी. पुलिस हिरासत में मौतों और प्रताड़ना के लिए पुलिस के ख़िलाफ़ हुई कार्रवाई का विवरण मांगने पर गृह मंत्रालय ने कहा कि पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था राज्य के विषय हैं इसलिए राज्य सरकारों को ऐसे अपराधों से निपटने का अधिकार है.

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