महिला आरक्षण बिल किसी राजनीतिक दल का नहीं, महिला संगठनों का है

लोकसभा व विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने वाला बिल सोच और ड्राफ्ट के स्तर पर न भाजपा का है न कांग्रेस का, बल्कि विशुद्ध रूप से महिला संगठनों का है. लेकिन विडंबना ही है कि प्रधानमंत्री द्वारा लाए गए बिल में महिला संगठनों की भूमिका का प्रस्तावना तक में कोई ज़िक्र तक नहीं है.

प्रधानमंत्री को महिलाओं की फ़िक्र है या उनके वोटों की?

वीडियो: लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने के लिए पारित किए गए 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' और महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने की राजनीतिक मंशा को लेकर वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान का नज़रिया.

क्या महिला आरक्षण विधेयक मोदी सरकार का जुमला भर है?

वीडियो: मोदी सरकार ने लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने के लिए 128वां संवैधानिक संशोधन विधेयक, 2023 पेश किया है. इस बारे में द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया. 

लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश, पारित हो गया तब भी 2029 के लोकसभा चुनाव में होगा लागू

नरेंद्र मोदी सरकार ने लोकसभा और सभी विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33%आरक्षण लाने के लिए 128वां संवैधानिक संशोधन विधेयक पेश किया है. विधेयक कहता है कि इसके पारित होने के बाद आयोजित पहली जनगणना के आधार पर परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने के बाद महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित की जाएंगी.