हम शांतिपूर्ण मार्च चाहते थे, लेकिन लेह को सरकार ने युद्धक्षेत्र में बदला: सोनम वांगचुक

जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और लद्दाख के नागरिक रविवार को लेह से चांगथंग तक के लिए एक मार्च निकालने वाले थे, जिसे 'पश्मीना मार्च' नाम दिया गया था. हालांकि, इसे मोदी सरकार द्वारा धारा 144 लगाने समेत अन्य कड़े कदम उठाए जाने के चलते रद्द कर दिया गया.

अमित शाह से मुलाकात के बाद लद्दाख के नेताओं ने कहा- राज्य के दर्जे के लिए बातचीत विफल रही

केंद्र शासित प्रदेश के छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल की 4 मार्च को दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद पूर्व भाजपा सांसद थुपस्तान छेवांग ने कहा कि गृह मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि छठी अनुसूची के तहत न तो राज्य का दर्जा दिया जा सकता है और न ही गारंटी दी जा सकती है.

बौद्ध और मुस्लिम गठबंधन ने केंद्र सरकार से लद्दाख को राज्य का दर्जा देने का आह्वान किया

लेह एपेक्स बॉडी और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस ने लोगों से संविधान की छठी अनुसूची के तहत राज्य का दर्जा और विशेष दर्जे की मांग, एक लोक सेवा आयोग के निर्माण, स्थानीय लोगों के लिए नौकरी में आरक्षण, शीघ्र भर्ती अभियान और संसद में लेह और करगिल जिलों के लिए अलग प्रतिनिधित्व के लिए लड़ने के लिए एकजुट होने को कहा है.

लद्दाख: सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों का नाम बदलकर आयुष्मान आरोग्य मंदिर करने का विरोध

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से आयुष्मान भारत- स्वास्थ्य केंद्रों का नाम बदलकर 'आयुष्मान आरोग्य मंदिर' करने को कहा गया था. लद्दाख में क्षेत्र के सबसे प्रभावशाली बौद्ध संगठन और निर्वाचित प्रतिनिधियों ने इसे सूबे के लोगों की भावनाओं का अपमान बताया है.

पूर्ण राज्य, विशेष दर्जा देने की बात नहीं हुई तो गृह मंत्रालय की बैठक में शामिल नहीं होंगे: लद्दाख के नेता

उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) की बैठक से पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय के समिति से मिलने वाले लद्दाख के नेताओं ने कहा है कि अगर एजेंडा में राज्य का दर्जा और विशेष दर्जे पर बातचीत शामिल नहीं हुई तो वे आगामी बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे.

लद्दाख को छठी अनुसूची में लाने की मांग को लेकर फिर उपवास करेंगे सोनम वांगचुक

शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक ने कहा है कि उपवास का कारण यह है कि केंद्र सरकार ने संविधान की छठी अनुसूची में लद्दाख को लाने की मांग पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है. 2019 में लद्दाख के जम्मू कश्मीर से अलग होने के बाद से यह मांग लगातार उठती रही है. सोनम इसे लेकर जनवरी में भी उपवास पर रहे थे.

लद्दाख को पूर्ण राज्य बनाने की मांग के बीच केंद्र ने कहा- वहां किसी बाहरी ने ज़मीन नहीं खरीदी

केंद्र सरकार ने संसद में बताया कि 2019 के बाद से न तो किसी बाहरी व्यक्ति ने लद्दाख में कोई ज़मीन खरीदी है और न ही किसी बाहरी कंपनी ने इस केंद्रशासित प्रदेश में निवेश किया है. केंद्र ने जोड़ा कि केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में पिछले तीन वर्षों में 185 बाहरी लोगों ने ज़मीन खरीदी है.

लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और संवैधानिक सुरक्षा की मांग को लेकर प्रदर्शनकारी दिल्ली पहुंचे

साल 2019 में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को समाप्त करने और और तत्कालीन जम्मू कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठित करने के बाद लद्दाख क्षेत्र के लोग भारत के अन्य आदिवासी क्षेत्रों को संविधान की छठी अनुसूची के तहत प्रदान किए गए संवैधानिक सुरक्षा उपायों की मांग कर रहे हैं, जिससे उनकी जनसांख्यिकी, नौकरी और भूमि की रक्षा हो.

केंद्र युवाओं को अलग-थलग कर लद्दाख में उग्रवाद के बीज बो रहा है: सोनम वांगचुक

लद्दाख के शिक्षा सुधारक और जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने क्षेत्र में छठी अनुसूची की मांग को दोहराते हुए कहा कि डर यह नहीं है कि लोग भारत के ख़िलाफ़ हो जाएंगे, डर यह है कि भारत के लिए प्यार कम हो जाएगा और ऐसा होना उस देश के लिए ख़तरनाक है जो चीन का सामना कर रहा है. 

लद्दाख: सोनम वांगचुक का उपवास जारी, विरोध ख़त्म करने के लिए प्रशासन ने बॉन्ड साइन करने को कहा

लद्दाख में संविधान की छठी अनुसूची लागू करने और पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग के समर्थन में इंजीनियर एवं नवप्रवर्तक सोनम वांगचुक पांच दिन का ‘क्लाइमेट फास्ट’ कर रहे हैं. विरोध को ख़त्म करने की कोशिश में प्रशासन ने उनसे एक बॉन्ड पर साइन करने के लिए कहा है, जिसमें कहा गया है कि वह कोई बयान नहीं देंगे या एक महीने तक लेह में किसी सार्वजनिक सभा में भाग नहीं लेंगे.

लद्दाख: केंद्रशासित प्रदेश के रूप में तीन साल पूरे, राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर प्रदर्शन

केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के करगिल और लेह ज़िलों में स्थानीय संगठनों के नेतृत्व में लोगों ने सड़कों पर रैली निकालकर राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग के साथ-साथ लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा देने की भी मांग की.

केंद्रशासित लद्दाख के लोग सरकार से नाराज़ क्यों हैं

अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर से अलग कर केंद्रशासित राज्य लद्दाख बनाए जाने के बाद से इसे पूर्ण राज्य का दर्जा और यहां के निवासियों को ज़मीन और नौकरी की सुरक्षा गारंटी दिए जाने की मांग आए दिन होती रहती है. आमतौर पर लद्दाख के मुस्लिम बहुल कारगिल और बौद्ध बहुल लेह क्षेत्र एक दूसरे से बंटे रहते हैं, लेकिन इस बार लोगों ने एक सुर में क्षेत्र की संवैधानिक सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग उठाई है.

जम्मू कश्मीर के उलट लद्दाख में सभी नॉन-गजेटेड नौकरियां स्थानीयों के लिए आरक्षित

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में ऐसे बाहरी लोग सरकारी नौकरी के लिए आवेदन कर सकते हैं जो वहां एक निश्चित समय तक रह चुके हैं जबकि लद्दाख में केवल 5 अगस्त, 2019 से पहले के स्थायी निवासियों और लेह व कारगिल ज़िलों में रहने वाले ही अब नॉन-गजेटेड नौकरी के पात्र रहेंगे.

लद्दाख के पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग कर रहे संगठन बोले- फूट डालने का प्रयास कर रहा केंद्र

लद्दाख एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस ने लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं. स्थानीय निवासियों के विशेष अधिकारों की मांग को नज़रअंदाज़ करने के बाद शनिवार को उन्होंने कारगिल और लेह ज़िलों में पूर्ण बंद का आह्वान किया था.

लद्दाख प्रशासन का सरकारी कर्मचारियों को आदेश, आधिकारिक सूचनाएं सार्वजनिक न करें

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के प्रशासन द्वारा एक मार्च को जारी सर्कुलर में कहा गया है कि आधिकारिक सूचनाओं को सार्वजनिक करने से पूर्व में विवाद खड़ा हो चुका है और इसलिए आदेश का पालन न करने वालों को दंडित किया जाएगा.

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