भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना है कि भारत ने लद्दाख के देपसांग और डेमचोक में ‘वेरिफिकेशन पेट्रोलिंग’ शुरू कर दी है. वेरिफिकेशन पेट्रोलिंग एक प्रक्रिया है जिसके तहत किसी क्षेत्र की निगरानी और निरीक्षण किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वहां तय समझौते का पालन हो रहा है.
चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि सीमा संबंधी मुद्दों पर चीन और भारत के बीच हाल ही में हुए समाधानों के अनुसार चीनी और भारतीय सैनिक इस काम में लगे हुए हैं. इस बीच, भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दोनों देशों के बीच संबंधों के सामान्य होने में कुछ और समय लगने की बात कही है.
लद्दाख में पैंगोंग झील पर चीन के पुल बनाने की ख़बरें सामने आईं, कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाए
चीन द्वारा लद्दाख में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों को जोड़ने वाले पुल निर्माण की ख़बरों और बढ़ते आतंकी हमलों पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि भारत के दोहरे मोर्चों पर सुरक्षा परिदृश्य में नए घटनाक्रम ने एक बार फिर मोदी सरकार की उदासीनता को उजागर किया है.
पूर्वी लद्दाख में चुशुल के पार्षद कोंचोक स्टैनज़िन ने बताया कि उन्हें ‘ग्रामीणों से जानकारी मिली है कि चीनी सेना ने बफ़र ज़ोन में गुरुंग हिल्स के टेबल टॉप इलाके में चार टेंट लगा दिए थे. भारतीय सेना द्वारा उनकी उपस्थिति पर आपत्ति जताने के बाद तीन टेंट हटा दिए गए थे, चौथा तंबू हटाने की प्रक्रिया में था’.
अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प को लेकर कांग्रेस ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है. पार्टी ने आरोप लगाया कि वह इस विषय पर संसद में चर्चा नहीं होने दे रहे हैं.
अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन ने संसद में पेश एक रिपोर्ट में कहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत के साथ टकराव के बीच चीनी अधिकारियों ने संकट की गंभीरता को कमतर दिखाने की कोशिश की है और इस बात पर ज़ोर दिया है कि चीन की मंशा सीमा पर स्थिरता कायम करना और भारत के साथ उसके द्विपक्षीय संबंधों के अन्य क्षेत्रों को गतिरोध से होने वाले नुकसान से बचाना है.
भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा है कि राजनीतिक, राजनयिक और सैन्य स्तर की बातचीत के कारण हम सात संघर्ष बिंदुओं में से पांच का समाधान निकालने में सफल रहे हैं. शेष दो बिंदुओं के संबंध में 17वें दौर की वार्ता पर विचार कर रहे हैं. हालांकि, वहां टकराव के हालात नहीं हैं, लेकिन फिलहाल तनाव में कमी नहीं आई है.
भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र की 25वीं बैठक के बाद भारत और चीन ने अपनी-अपनी प्रेस विज्ञप्ति जारी की हैं, जिनमें वास्तविक सीमा नियंत्रण के साथ-साथ शेष मुद्दों के समाधान पर दोनों ही देशों के कथनों में अंतर देखा जा सकता है.
एक रिपोर्ट से हवाले से पता चला था कि चीन द्वारा एलएसी पर पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के पास पुल का निर्माण किया जा रहा है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि पुल उन क्षेत्रों में बनाया जा रहा है, जो लगभग 60 वर्ष से चीन के अवैध क़ब्ज़े में हैं और भारत ने इस तरह के अवैध क़ब्ज़े को कभी स्वीकार नहीं किया है. भारत ने चीनी दूतावास द्वारा सांसदों को पत्र लिखे जाने की
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चीन इस पुल का निर्माण पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर आठ से 20 किलोमीटर पूर्व में कर रहा है. कांग्रेस ने इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि चीन चाहे उकसाए, पुल बनाए, सैन्य गांव बसाए… पर मोदी जी चुप हैं! यही है चीन को लाल आंख दिखाने की नीति?
जीओस्पेशियल इंटेलिजेंस एक्सपर्ट क्रिस बिगर्स ने सैटेलाइट इमेजरी का अध्यनन करके बताया है कि चीन सीमा अपनी सैन्य गतिविधियां तेज़ कर रहा है और संभवत: ऐसा अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त कर लद्दाख को अलग केंद्रशासित प्रदेश बनाने के चलते हो रहा है.
भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने पूछा था कि क्या चीनी सैनिकों ने लद्दाख में एलएसी को पार किया था. स्वामी ने कहा कि यह त्रासदीपूर्ण नहीं हास्यास्पद है कि इस सवाल पर कहा गया कि इसे राष्ट्रीय हित में अनुमति नहीं दी जा सकती. वहीं, राज्यसभा सचिवालय ने कहा कि वह संवेदनशील मुद्दों पर संबंधित मंत्रालय की सिफ़ारिश के अनुरूप क़दम लेता है.
रिपब्लिकन सांसद डेविड नुनेस ने कहा है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पिछले सप्ताह भारत की सीमा के पास तिब्बत का दौरा किया है. भारत के लिए यह ख़तरे की बात है कि वह एक बड़ी जल परियोजना विकसित करने वाले हैं, जिससे भारत की जलापूर्ति बाधित हो सकती है.
डेमचोक में पहले भी भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच आमना-सामना हो चुका है. 1990 के दशक में भारत-चीन संयुक्त कार्य समूहों (जेडब्ल्यूजी) की बैठकों के दौरान दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए थे कि डेमचोक और ट्रिग हाइट्स वास्तविक नियंत्रण रेखा पर विवादित बिंदु थे.
बिज़नेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट में कहा गया कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने पैंगोंग के दक्षिणी किनारे पर स्थित कई स्थानों पर फिर से कब्ज़ा कर लिया है, जिसे उन्होंने पहले पीछे हटने संबंधी समझौते के अनुसार खाली कर दिया था. रिपोर्ट के दावे को भारतीय सेना ने ख़ारिज किया है.