राजस्थान: क़र्ज़ नहीं चुका पाने वाले किसानों की ज़मीन नीलाम किए जाने के ख़िलाफ़ प्रदर्शन

राजस्थान के दौसा ज़िले के किसानों ने ज़मीन नीलामी में शामिल बैंक अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई और भूमि नीलामी प्रक्रिया को रद्द करने की मांग करते हुए राजधानी जयपुर में प्रदर्शन किया. वहीं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने क़र्ज़ नहीं चुकाने वाले किसानों की कृषि भूमि को बैंकों द्वारा नीलाम किए जाने से रोकने के निर्देश दिए हैं.

पीएम किसान के तहत 20 लाख अयोग्य लाभार्थियों को 1,364 करोड़ रुपये का भुगतान: आरटीआई

आरटीआई के तहत केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने बताया कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (पीएम-किसान) के तहत अयोग्य लाभार्थियों की बड़ी संख्या पांच राज्यों- पंजाब, असम, महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश में है. अयोग्य लाभार्थियों में आधे से अधिक यानी 54.03 प्रतिशत लोग पंजाब, असम और महाराष्ट्र से हैं.

महाराष्ट्र: साहूकार के कथित उत्पीड़न के बाद क़र्ज़ में डूबे किसान ने आत्महत्या की

मामला महाराष्ट्र के बीड ज़िले का है. पुलिस ने बताया कि घटनास्थल से मिले एक सुसाइड नोट में किसान ने साहूकार पर उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है, जिसके बाद साहूकार को गिरफ़्तार कर लिया गया है.

11 राज्यों में रजिस्ट्रेशन कराए 11.5 लाख से अधिक किसानों से दाल-तिलहन की ख़रीदी नहीं हुई

द वायर द्वारा आरटीआई के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि केंद्र की पीएसएस योजना के तहत दालें एवं तिलहन की ख़रीद के लिए 25.79 लाख किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन सरकारों ने इसमें से 14.20 लाख किसानों से ही उनकी उपज की ख़रीददारी की है.

केंद्र ने लक्ष्य का सिर्फ़ 50 फ़ीसदी दाल-तिलहन ख़रीदा, नौ राज्यों में बिल्कुल भी ख़रीदी नहीं हुई

द वायर द्वारा सूचना का अधिकार क़ानून के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि केंद्र सरकार ने रबी-2020 ख़रीद सीज़न में 20 राज्यों से कुल 58.71 लाख टन दालें और तिलहन ख़रीदने का लक्ष्य रखा था, हालांकि इसमें से सिर्फ़ 29.25 लाख टन उपज की ख़रीदी हो पाई है.

राहत पैकेज की घोषणा के दो हफ्ते बाद भी करीब दो करोड़ लोगों को पीएम किसान का पैसा नहीं मिला

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राहत पैकेज के तहत घोषणा की थी कि 8.69 करोड़ किसानों को पीएम-किसान का 2000 रुपया तत्काल प्रभाव से दिया जाएगा. हालांकि अभी तक 7.1 करोड़ किसानों को ही इसका लाभ मिला है.

फसलों का उचित दाम दिलाने वाली योजना का बजट बढ़ाने की हुई थी मांग, वित्त मंत्रालय ने नकारा

द वायर द्वारा प्राप्त किए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि कृषि मंत्रालय ने कहा था कि चूंकि पीएम-किसान योजना के तहत पूरी राशि ख़र्च नहीं हो पा रही है, इसलिए जो राशि बच गई है उसे अन्य योजनाओं के इस्तेमाल में लाया जा सकता है. हालांकि वित्त मंत्रालय ने इस मांग को ख़ारिज कर दिया था.

फसलों के उचित दाम देने वाली योजना के बजट में बड़ी कटौती, 2019-20 के लिए भी फंड घटा

मोदी सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को पाने के लिए पिछले कुछ सालों में कई कृषि योजनाओं को लॉन्च किया था. हालांकि इनके लागू होने की खराब स्थिति के चलते सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए इन योजनाओं के आवंटित बजट में बड़ी कटौती की है.

आर्थिक समीक्षा में विकिपीडिया, अन्य निजी संस्थानों से भी लिए गए आंकड़े

केंद्रीय बजट से एक दिन पहले जारी किए गए आर्थिक सर्वे में भगवद गीता, ऋगवेद, कौटिल्य के अर्थशास्त्र, तमिल संत तिरुवल्लुवुर की शिक्षाओं ‘द तिरुकुरल’ के उद्धरण भी दिए गए हैं.

आर्थिक सर्वे में कृषि मशीनीकरण पर जोर, जल संरक्षण के लिए माइक्रो इरिगेशन पर फोकस

रिपोर्ट में इस ओर इशारा किया गया है कि अगर सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को पूरा करना चाहती है तो उसे कृषि क्षेत्र में मूलभूत चुनौतियों का समाधान करना होगा.

कृषि विकास दर में गिरावट जारी, अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी घटकर 16.5 फीसदी हुई: आर्थिक सर्वे

वित्त वर्ष 2019-20 के लिए कृषि विकास दर घटकर मात्र 2.8 फीसदी पर आ गई है. आर्थिक सर्वे 2019-20 में कृषि क्षेत्र की मूलभूत चुनौतियों का समाधान करने के लिए कहा गया है.

पीएम किसान योजना के तहत लगातार घट रही है लाभार्थियों की संख्या

योजना के तहत कुल चिन्हित 8.80 करोड़ लाभार्थियों में से 8.35 करोड़ छोटे किसानों को पहली किस्त के रूप में दो-दो हजार रुपये की राशि दी गयी. वहीं दूसरी किस्त में लाभार्थियों की संख्या घटकर 7.51 करोड़, तीसरी में 6.12 करोड़ और चौथी किस्त में केवल 3.01 करोड़ रह गयी है.

पीएम किसान योजना: क़रीब 75 फीसदी किसानों को तीनों किस्त नहीं मिली

पीएम किसान योजना के तहत किसानों को एक साल में 2000 रुपये की तीन किस्त के ज़रिये कुल 6000 रुपये देने का प्रावधान है. हालांकि आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, सिर्फ़ 25 फीसदी किसानों को ही इसका पूरा लाभ मिल पाया है.

देश में पिछले 10 साल में माफ़ हुआ 4.7 लाख करोड़ रुपये का कृषि क़र्ज़

हालांकि किसानों की ये क़र्ज़ माफ़ी वास्तविकता के बजाय काग़ज़ों पर ही अधिक हुई हैं. इनमें से 60 प्रतिशत से अधिक क़र्ज़ माफ़ नहीं किए जा सके हैं. सबसे ख़राब प्रदर्शन मध्य प्रदेश का रहा है. मध्य प्रदेश में महज़ 10 प्रतिशत क़र्ज़ माफ़ किए गए हैं.

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