आरटीआई के जरिए पता चला है कि लोकपाल चयन समिति की पहली बैठक मोदी सरकार के सत्ता में आने के 45 महीनों बाद मार्च, 2018 में हुई थी. सरकार ने ग़ैरक़ानूनी तरीके से बैठकों के मिनट्स की कॉपी देने से मना कर दिया.
द वायर विशेष: सूचना के अधिकार के ज़रिये खुलासा हुआ है कि अब तक 23 राज्यों ने ही लोकायुक्त के लिए कार्यालय तैयार किया है. इनमें से नौ राज्यों में लोकायुक्त की वेबसाइट ही नहीं है. महाराष्ट्र ही एकमात्र ऐसा राज्य है जहां लोकायुक्त को ऑनलाइन शिकायत भेजी जा सकती है.
शीर्ष अदालत ने फ़िलहाल लोकपाल की नियुक्ति को लेकर आदेश जारी करने से इनकार कर दिया है. मामले की अगली सुनवाई 15 मई को होगी.
लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम साल 2013 में लोकसभा और राज्यसभा की सहमति से पास हुआ था. लेकिन पिछले चार सालों में लोकपाल का चयन नहीं हो पाया है.
एक जनहित याचिका में सुप्रीम कोर्ट के 27 अप्रैल, 2017 के फैसले के बावजूद अभी तक लोकपाल की नियुक्ति की दिशा में कोई क़दम नहीं उठाए जाने का मुद्दा उठाया गया है.