अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 12 राज्यों में लाए गए धर्मांतरण विरोधी क़ानून धर्म या आस्था की स्वतंत्रता के अधिकार के लिए अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के तहत मिले संरक्षण का उल्लंघन हैं.
दिसंबर 2022 में एकनाथ शिंदे सरकार ने एक प्रस्ताव में राज्य स्तर पर 'अंतरधार्मिक विवाह- परिवार समन्वय समिति' के गठन की बात कही थी. इस विवादास्पद प्रस्ताव को वापस लेने के लिए राज्य सरकार पर दबाव डालने हेतु राज्य के विपक्षी दलों ने एक कार्य समूह (वर्किंग ग्रुप) बनाने का फैसला किया है.
विहिप समेत कई कई हिंदुत्ववादी दक्षिणपंथी संगठनों की एकीकृत संस्था सकल हिंदू समाज की ओर से प्रदर्शन के दौरान कहा गया कि आरे कॉलोनी में स्थित राम मंदिर के पास एक क़ब्रिस्तान के निर्माण से हिंदू दुखी हैं.
मध्य प्रदेश के इंदौर शहर का मामला. एक हिंदू महिला अपने दोस्तों के साथ एक फ्लैट में अपना जन्मदिन मना रही थी, जब कथित तौर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने यहां धावा बोल दिया. कार्यकर्ता मुस्लिम युवकों को पीटने के बाद उन्हें थाने ले गई, जहां पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया. कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
बीते कुछ समय में देश के कई राज्यों में कथित तौर पर मुस्लिम पुरुषों के हिंदू महिलाओं से शादी करने की बढ़ती घटनाओं के आधार पर 'लव जिहाद' से जुड़े क़ानून को जायज़ ठहराया गया है. लेकिन क्या इन दावों का समर्थन करने के लिए कोई वास्तविक सबूत मौजूद है?
कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ ज़िले के सुब्रमण्य का मामला. पुलिस ने दो मामले दर्ज किए हैं. एक अज्ञात हमलावरों के ख़िलाफ़ युवक की हत्या के प्रयास के आरोप और दूसरा मुस्लिम युवक के ख़िलाफ़ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) के तहत नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न के आरोप से संबंधित है.
टीवी कलाकार तुनीषा शर्मा की आत्महत्या के बाद बहस मानसिक स्वास्थ्य पर होनी चाहिए थी, इस पर कि इस उम्र में इतना काम करने का दबाव किसी के साथ क्या कर सकता है, वह भी उस दुनिया में जिसकी प्रतियोगिता असामान्य होती है. लेकिन बहस को 'लव जिहाद' का एंगल देते हुए सुविधाजनक दिशा में मोड़ दिया गया है.
कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नलिन कुमार कतील ने एक आयोजन में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में लोग सड़क, नाली और अन्य छोटे-छोटे मुद्दों पर बात न करें, 'लव जिहाद' रोकने के लिए भाजपा की जरूरत है.
लड़कियां अपनी मर्ज़ी से जीना चाहती हैं. अपनी मर्ज़ी से रिश्ते बनाना चाहती हैं. इसके लिए उन्हें भागना न पड़े अपने लोगों से, ऐसा समाज बनाने की ज़रूरत है. जब तक वह न बने, तब तक इन औरतों को अगर बचाया जाना है तो उनके परिवारों से, बाबू बजरंगी जैसे गुंडों से और बजरंग दल जैसे हिंसक संगठनों से. लेकिन अब इस सूची में जोड़ना पड़ेगा कि उन्हें राज्य से भी बचाने की ज़रूरत है.
मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि ‘लव जिहाद’ की घटनाओं को रोकने के लिए मैरिज रजिस्ट्रार ब्यूरो और विवाह की अन्य पंजीयन संस्थाओं को जल्द ही लड़का-लड़की की शादी से पहले उनका पुलिस वेरिफिकेशन कराना पड़ सकता है.
महाराष्ट्र सरकार ने अंतरजातीय और अंतरधार्मिक शादी करने वाले दंपति और इस तरह के विवाह के बाद परिवार से अलग हुई महिलाओं व उनके परिवार के बारे में जानकारी जुटाने के लिए एक समिति बनाई है. एनसीपी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि सरकार को लोगों के निजी जीवन की जासूसी करने का कोई हक़ नहीं है.
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का आरोप है कि क़ानून के विद्यार्थियों को पढ़ाई जा रही इस किताब में हिंदू समुदाय और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ख़िलाफ़ बेहद आपत्तिजनक बातें लिखी गई हैं, जिनसे धार्मिक कट्टरता को बल मिलता है. एफ़आईआर किताब की लेखक डॉ. फ़रहत ख़ान, प्रकाशक अमर लॉ पब्लिकेशन, प्रिंसिपल डॉ. इनामुर्रहमान और संस्थान के प्रोफेसर मिर्ज़ा मोजिज बेग के ख़िलाफ़ दर्ज की गई है.
मामला इंदौर के शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय का है. एबीवीपी ने हंगामा करते हुए दावा किया था कि महाविद्यालय में कुछ शिक्षक विद्यार्थियों के बीच कट्टरता, लव जिहाद और देश के संबंध में नकारात्मक बातों को बढ़ावा दे रहे हैं. इसके बाद कॉलेज द्वारा अस्थायी तौर पर हटाए गए छह अध्यापकों में से चार मुस्लिम हैं.
समाचार चैनल सुदर्शन न्यूज़ के संपादक सुरेश चव्हाणके ने 18 नवंबर की सुबह रिसेप्शन पार्टी के आमंत्रण की एक तस्वीर ट्वीट की और हैशटैग ‘लव जिहाद’ और ‘आतंकवादी कृत्य’ का इस्तेमाल करते हुए इसे दिल्ली के महरौली में हुए श्रद्धा वालकर हत्याकांड से जोड़ दिया, जिसके बाद दक्षिणपंथी संगठनों ने इस आयोजन का विरोध किया था.
मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2021 की धारा 10 के अनुसार, किसी व्यक्ति को धर्म परिवर्तन करने से पहले ज़िला प्रशासन को सूचित करना होता है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इस प्रावधान के उल्लंघन को लेकर उसके अगले आदेश तक दंडात्मक कार्रवाई न करने का निर्देश दिया है.