तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक चुनावी रैली के दौरान 21 मई, 1991 की रात को एक महिला आत्मघाती हमलावर के हमले में राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी. हत्या में व्यापक साजिश की जांच के लिए साल 1998 में मल्टी डिसिप्लीनरी मॉनिटरिंग एजेंसी (एमडीएमए) को दो साल की अवधि के लिए स्थापित किया गया था.
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गृह मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर बताया कि ग़ैर-क़ानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत लिट्टे पर यह प्रतिबंध बढ़ाया गया है.
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के संबंध में मुरुगन, संथम, एजी पेरारिवलन, जयकुमार, रॉबर्ट पायस, पी. रविचंद्रन और नलिनी पिछले 25 साल से जेल में बंद हैं.
तमिलनाडु सरकार के राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई के फ़ैसले पर शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा था, जिस पर केंद्र ने कहा कि ऐसा करना एक ख़तरनाक परंपरा की शुरुआत करना होगा.
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि उनके पिता और दादी की हत्या इसलिए हुई कि वे राजनीति में थे और बदलाव लाना चाहते थे.
एमडीएमके प्रमुख वाइको ने राजद्रोह के आठ साल पुराने मामले में सोमवार को चेन्नई की एक अदालत में आत्मसमर्पण किया और जमानत मांगने से इंकार कर दिया जिसके बाद उन्हें 15 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.