राम मंदिर आयोजन की चकाचौंध में ग्राहम स्टेंस की बर्बर हत्या और उसके निहितार्थों को याद करना भी मुनासिब नहीं समझा गया. जबकि इस बर्बर हत्याकांड में वह तमाम संकेत मिलते हैं, जिन्हें 21वीं सदी की बहुसंख्यकवादी राजनीति में भरपूर प्रयोग में लाया गया.
वीडियो: राजस्थान विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र मेव समाज के लोगों से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
घटना उत्तर प्रदेश के हापुड़ ज़िले के लुहारी गांव में बीते 24 अक्टूबर को हुई. मृतक की पहचान इरशाद मोहम्मद के रूप में हुई है. रामलीला मैदान के पास उनकी बाइक से एक व्यक्ति को टक्कर लग गई थी, जिसके बाद भीड़ ने उन पर हमला कर दिया था. इलाके में तनाव को देखते हुए पीएसी तैनात की गई है.
मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बताया कि कैबिनेट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद इस फैसले को मंज़ूरी दे दी है. वर्ष 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने लिंचिंग और भीड़ द्वारा हिंसा से निपटने के लिए व्यापक दिशानिर्देश जारी करते हुए निर्देश दिया था कि राज्य सरकारें ‘लिंचिंग/भीड़ द्वारा हिंसा पीड़ित मुआवज़ा योजना’ तैयार करेंगी.
दिल्ली पुलिस ने बताया कि घटना ओखला फेज़-2 स्थित संजय कॉलोनी इलाके की है. मृतक की पहचान मोहम्मद हनीफ़ के रूप में हुई है, जो कुली का काम करते थे. झड़प में उनके दो नाबालिग बेटे भी घायल हुए हैं. पुलिस केस दर्ज कर आरोपियों की तलाश कर रही है.
उत्तर प्रदेश के सीतापुर ज़िले का मामला. हरगांव थाना क्षेत्र के राजेपुर गांव में बीते 18 अगस्त को यह घटना हुई. मृतकों की पहचान अब्बास और उनकी पत्नी कमरुल निशा के रूप में हुई है. पुलिस ने बताया कि अब्बास का बेटा शौकत पड़ोस के हिंदू परिवार की बेटी के साथ कुछ साल पहले भाग गया था, जिसके कारण दोनों परिवारों के बीच विवाद चल रहा था.
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सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर केंद्र और छह राज्यों - महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश तथा हरियाणा - से जवाब मांगा है. याचिका में दावा किया गया है कि शीर्ष अदालत के 2018 के फैसले में राज्यों को लिंचिंग सहित घृणा अपराधों के ख़िलाफ़ निर्णायक कार्रवाई करने का निर्देश देने के बावजूद मुसलमानों के ख़िलाफ़ ऐसे मामलों में चिंताजनक वृद्धि हुई है.
जुलाई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को भीड़ द्वारा हिंसा और लिंचिंग की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कई दिशानिर्देश दिए थे. अब अदालत ने 2018 से ऐसी हिंसक घटनाओं के संबंध में दर्ज की गई शिकायतों, एफआईआर और अदालतों में पेश किए गए चालान से संबंधित वर्षवार डेटा दाखिल करने का निर्देश दिया है.
झारखंड के सरायकेला खरसावां ज़िले के एक गांव में 18 जून 2019 को चोरी के आरोप में तबरेज़ अंसारी नाम के युवक को भीड़ ने एक खंभे से बांधकर बेरहमी से कई घंटों तक पीटा था, जिसके कुछ दिनों हिरासत के दौरान उनकी मौत हो गई थी.
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महाराष्ट्र के नासिक ज़िले का मामला. मुंबई के कुर्ला निवासी 32 वर्षीय अफ़ान अंसारी अपने सहयोगी नासिर शेख़ के साथ एक कार में मांस ले जा रहे थे, जब उन्हें कथित गोरक्षकों ने रोककर बर्बरतापूर्वक पीटा था. नासिक में ही इस महीने की शुरुआत में मवेशी तस्करी के संदेह में एक अन्य मुस्लिम युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी.
महाराष्ट्र के नासिक ज़िले का मामला. भिवंडी निवासी 23 वर्षीय लुकमान सुलेमान अंसारी और दो अन्य बीते 8 जून को कुछ मवेशियों को ले जा रहे थे, जब भीड़ ने उन पर हमला कर दिया था. अंसारी का शव 10 जून को बरामद किया गया. आरोपियों के कथित तौर पर राष्ट्रीय बजरंग दल से जुड़े होने की जानकारी मिली है.
राजस्थान के अलवर ज़िले में 20 और 21 जुलाई 2018 की दरम्यानी रात कथित गोरक्षकों की भीड़ द्वारा हमला किए जाने के बाद 31 वर्षीय रकबर ख़ान की मौत हो गई था. घटना के समय रकबर एक अन्य व्यक्ति असलम ख़ान के साथ गायों को ले जा रहे थे.