समलैंगिकता का अपराधीकरण हमारे समाज में अन्याय की कई कहानियों में से एक था: सीजेआई

वर्ष 2018 में उच्चतम न्यायालय ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी में रखने वाली भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 को असंवैधानिक क़रार देते हुए इसे ग़ैर-आपराधिक ठहराया था. वर्तमान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ यह निर्णय देने वाली पीठ में शामिल थे.